ग़ज़ल
वो इतराते हैं ।
अच्छी किस्मत वाले जो इठलाते हैं ।
अपनी सुंदरता पर वो इतराते हैं ।
पैसा लेकर खुद को गिरवी रख दें जो,
वो सच्चाई लिखने से कतराते हैं ।
चिकनी चुपड़ी बातों से जो मन हरते,
मौका मिलते ही घर में घुस जाते हैं ।
चालें उनकी सारी खुल जाती हैं तब,
पक्के शातिर भी भोले बन जाते हैं ।
बागों में देखा है फूलों को खिलते,
इक दिन आता है जब वो मुरझाते हैं ।
बातों के राजा हैं बातों बातों में,
सबको वो मीठे सपने दिखलाते हैं ।
जो खुद झूठे हैं वो सच के साथी को,
तर्कों से अपने हरदम झुठलाते हैं ।
अवधेश-22052020
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