ग़ज़ल
गुलाबों की महक होगी
तपेगा आग में सोना तभी उसकी चमक होगी ।
मेरी ये बात अनुभव की तुम्हे अच्छा सबक होगी ।
ज़रा दाना ज़रा पानी कभी रखना सकोरों में,
तुम्हारे घर के आंगन में चिरैयों की चहक होगी ।
तुम्हारी ही मुहब्बत में गुजारे रात दिन हमने,
मगर तुमसे न मिल पाए यही दिल में कसक होगी ।
कभी आने की उनके जब खबर हमको मिलेगी तो,
तकेंगे रास्ता अपलक बड़ी सुंदर झलक होगी ।
गगन में चाँद के आगे घिरा आता कभी बादल,
लटकती भाल पर उनके सजीली सी अलक होगी ।
बिगड़ता आज मौसम है गरज भी है चमक भी है,
यहाँ गर गिर रही बिजली वहाँ भी तो तड़क होगी ।
बहुत ही दूर है मंजिल मगर पाना जरूरी है,
तुम्हे चलना उसी पर है ले जाती जो सड़क होगी ।
सफलता शोर कर देगी अगर कोशिश करोगे यूँ,
जो कानों में किसी के भी नहीं बिल्कुल भनक होगी ।
जहाँ में सबसे अच्छा है मिलेगा वो तुम्हे तब ही,
अगर तुमको उसे शिद्दत से पाने की ललक होगी ।
रहेगा देश ये महफ़ूज गर इसके जवानों में,
जो दुश्मन को लड़ाई में हराने की सनक होगी ।
मिला है जीत कर वैभव रहेगा वो नहीं हरदम,
तुम्हे जो इस क़दर अपनी हुकूमत की हनक होगी ।
कभी तुम दूसरों को भी चमन के फूल तो बांटो,
तुम्हारे हाथ में भी तो गुलाबों की महक होगी ।।
अवधेश-18052020
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