कोरोना पर एक गीत-
चैन से सोना नहीं ।
आ गयी जो ये मुसीबत, तुम कभी रोना नहीं ।
हाथ पर रख हाथ तुम यूँ, बैठकर रहना नहीं ।
अब इसे भी है मिटाना, ठान लेना अब सभी,
जब तलक भी ये न भागे, चैन से सोना नहीं ।
हाथ धोकर तुम इसे भी, साफ करते ही रहो,
दूर अपनो से अभी तुम, डेढ़ मीटर पर रहो ।
गर जरूरी हो नहीं तो, काम पर जाना नहीं ।
छींकना तो बाँह पर ही, हाथ में रुमाल हो,
खाँसना तो सावधानी, साथ में हर हाल हो ।
अब नमस्ते ही करो बस, हाथ मिलवाना नहीं ।
ताप हो खांसी उठे या, सांस भी भारी लगे,
नाक से पानी बहे या, कोइ बीमारी लगे ।
फोन करना डॉक्टर को, खुद दवा खाना नहीं ।
चीन से आया यहाँ पर, देश में चिंता विकट,
कर सकेगा क्या हमारा, आ नहीं सकता निकट ।
योग वालों को यहाँ हो, रोग कोरोना नहीं ।
की अगर यात्रा विदेशी, या मिला रोगी कहीं,
वो रहे घर साथ में ही, हो जिसे कोविड कहीं ।
हो अलग जाना सभी से, अब कहीं जाना नहीं ।
कुछ दिनों की बात है बस, तुम जरा धीरज रखो,
मानते जिसको उसी के, पैर पर नीरज रखो ।
कुछ बुरा होगा नहीं ये, मान घबराना नहीं ।
अवधेश
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