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परिचय

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Sunday, May 31, 2020

जगाते रहो

ग़ज़ल 
मीठे सपने दिखाकर सुलाते रहो ।
सुर सजीले सुनाकर जगाते रहो ।

जिंदगी में खुशी या मिले गम कभी 
गुनगुनाते रहो मुस्कुराते रहो ।

देख कर आपको जिंदगी चल रही,
आप मेरी गली रोज आते रहो ।

तुम रहो एक मासूम बच्चा बने,
खुद हँसों और सबको हँसाते रहो ।

साथ चलना जरूरी जमाने के है,
आप खिचड़ी अलग मत पकाते रहो ।

दूर से देखने से नहीं फायदा,
पास जाकर उसे तुम रिझाते रहो ।

नफरतों से बचाते रहो देश को,
प्रेम का पाठ सबको पढ़ाते रहो ।

मुश्किलों से मिला साथ उनका तुम्हें,
पाक रिश्ते बने जो निभाते रहो ।

कुछ नहीं ये समझ पा रहे बात को,
इनसे बेकार भेजा खपाते रहो ।
अवधेश-19042020

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