ग़ज़ल
मीठे सपने दिखाकर सुलाते रहो ।
सुर सजीले सुनाकर जगाते रहो ।
जिंदगी में खुशी या मिले गम कभी
गुनगुनाते रहो मुस्कुराते रहो ।
देख कर आपको जिंदगी चल रही,
आप मेरी गली रोज आते रहो ।
तुम रहो एक मासूम बच्चा बने,
खुद हँसों और सबको हँसाते रहो ।
साथ चलना जरूरी जमाने के है,
आप खिचड़ी अलग मत पकाते रहो ।
दूर से देखने से नहीं फायदा,
पास जाकर उसे तुम रिझाते रहो ।
नफरतों से बचाते रहो देश को,
प्रेम का पाठ सबको पढ़ाते रहो ।
मुश्किलों से मिला साथ उनका तुम्हें,
पाक रिश्ते बने जो निभाते रहो ।
कुछ नहीं ये समझ पा रहे बात को,
इनसे बेकार भेजा खपाते रहो ।
अवधेश-19042020
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