#कहमुक़री
1
आने पर उसके मैं उठती ।
दिन में उससे बच के रहती ।
वो न बिगाड़ दे मेरा रूप ।
क्या सखि साजन ?
नहीं सखि धूप ।
2
उसको देखूँ मैं मुस्काऊँ ।
अपने ऊपर मैं इतराऊँ ।
उसके आगे रूप समर्पण ।
क्या सखि साजन ?
ना सखि दर्पण ।
3
माँ की वो हर बात मानता ।
लड्डू बड़े चाव से खाता ।
दूर करे वो हर विघ्न क्लेश ।
क्या सखि साजन ?
ना सखि गणेश ।
4
उसके बिना रह नहीं सकती ।
वो मिले तो प्यास है बुझती ।
जीवन उसके बिन बेमानी ।
क्या सखि साजन ?
ना सखि पानी ।
5
घर में सब उससे डरते हैं ।
साफ सफाई भी रखते हैं ।
उसकी बजह साफ हर कोना।
क्या सखि साजन ?
ना कोरोना ।
अवधेश-09052020
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