ग़ज़ल
प्यार का इज़हार है ।
गिर नहीं सकता मकाँ मजबूत जब आधार है ।
बाप दादों से मिला रहवास का अधिकार है ।
गर बचाना है कहीं हर कौम को नुकसान से,
अब यहाँ पर इक बड़े बदलाव की दरकार है ।
दे दिया अधिकार सारा जब तुम्हारे हाथ में,
फ़िर अगर हालात बिगड़े तो तुम्हे धिक्कार है ।
जो नहीं माने हमारे देश के कानून को,
वो सज़ा पाए कड़ी जो देश का गद्दार है ।
बात समझाई उसे हमने बहुत ही प्यार से,
आदतें बदलीं नहीं उसकी बड़ा मक्कार है ।
दुश्मनों से जंग में लड़ना मेरा भी धर्म है,
मारने उनको कलम मेरी बनी हथियार है ।
बीच भव सागर हमारी नाव जब डगमग करे,
फ़िक्र क्या जब रामजी के हाथ में पतवार है ।
जब हुई रहमत ख़ुदा की हम तुम्हारे साथ हैं,
हो रही ऊपर हमारे प्यार की बौछार है ।
हाथ में जब हाथ हैं तो और फिर क्या चाहिए,
हो गया दोनों तरफ़ से प्यार का इज़हार है ।
अवधेश-08052020
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