ग़ज़ल
अकेले सफ़र में ।
चले जा रहे हैं अकेले सफ़र में ।
मिलेगा कभी साथ सूनी डगर में ।
इबादत यही हम करेंगे ख़ुदा से,
रहें वो हमेशा हमारी नज़र में ।
खिजां जा रही है चमन गा रहा है,
नए आ रहे देख पत्ते शजर में ।
रुकेंगे यहाँ चार दिन ही मुसाफ़िर,
ठिकाना अगर हो कहीं इस शहर में ।
अकेले नहीं पा लिया राज तुमने,
मिरे हाथ शामिल रहे इस ज़फ़र में ।
मुहब्बत कभी हो अगर एक से हो,
खुदा को करो याद शामो सहर में ।
करेंगे अलग काम कुछ जो यहाँ पर,
रहेंगे वही तो हमेशा खबर में ।
अवधेश-07042020
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