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परिचय

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Sunday, May 31, 2020

बाग में फूलों के जैसे तितलियां

ग़ज़ल 
बाग में फूलों के जैसे तितलियां ।

बाग में फूलों के जैसे तितलियां ।
बाप के दिल में रहें ये बेटियाँ ।

छोड़ कर यूँ चल दिये हमको यहाँ,
कुछ तो होंगी आपकी मजबूरियां ।

जानकर हमने नहीं ऐसा किया,
माफ कर देना हमारी गलतियां ।

बुझ नहीं सकता कभी मेरा दिया,
तेज कितनी भी चलें ये आँधियाँ ।

तुम न आए बाज आदत से कभी,
लग गयीं हैं आज फिर पाबन्दियाँ ।

इस हवा तूफान से बरपा कहर, 
डूबने को  हैं हमारी कश्तियाँ ।

चाँद तारे छुप गए जाने कहाँ,
कड़कड़ाती हैं चमकती बिजलियां ।

राज कितने भी छुपाओ चुप रहो,
बोलती हैं अब यहाँ खामोशियाँ ।

जीतना उससे बड़ा मुश्किल हुआ,
जान ली उसने सभी कमजोरियां ।

अवधेश
28032020

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