ग़ज़ल
बाग में फूलों के जैसे तितलियां ।
बाग में फूलों के जैसे तितलियां ।
बाप के दिल में रहें ये बेटियाँ ।
छोड़ कर यूँ चल दिये हमको यहाँ,
कुछ तो होंगी आपकी मजबूरियां ।
जानकर हमने नहीं ऐसा किया,
माफ कर देना हमारी गलतियां ।
बुझ नहीं सकता कभी मेरा दिया,
तेज कितनी भी चलें ये आँधियाँ ।
तुम न आए बाज आदत से कभी,
लग गयीं हैं आज फिर पाबन्दियाँ ।
इस हवा तूफान से बरपा कहर,
डूबने को हैं हमारी कश्तियाँ ।
चाँद तारे छुप गए जाने कहाँ,
कड़कड़ाती हैं चमकती बिजलियां ।
राज कितने भी छुपाओ चुप रहो,
बोलती हैं अब यहाँ खामोशियाँ ।
जीतना उससे बड़ा मुश्किल हुआ,
जान ली उसने सभी कमजोरियां ।
अवधेश
28032020
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