ग़ज़ल
गाते हुए सुनाना
दिल की लगी हुयी क्या तुमसे हमें छुपाना ।
क्या दिल में है तुम्हारे तुम भी हमें दिखाना ।
ताले लगे हुए हैं मंदिर में दिल के उनके,
आसाँ नहीं किसी के दिल में जगह बनाना ।
भूले नहीं कभी हम बचपन के उन दिनों को,
छत पर बड़े मज़े से बरसात में नहाना ।
वो जो सुना रहे हैं हमको बड़े यकीं से,
आधी हक़ीक़तें हैं आधा ही है फ़साना ।
अब याद आ रहे हैं दिन जो बहार के थे,
मिलता नहीं पुराना जो खो गया ज़माना ।
मुद्दत हुयी किसी ने आवाज़ ही नहीं दी,
गर तुम बुला सको तो हमको कभी बुलाना ।
मेरी ग़ज़ल तुम्हारे दिल में उतर रही है,
तुम भी इसे किसी को गाते हुए सुनाना ।
अवधेश-23042020
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