ग़ज़ल
गरीबी तुम मिटाओ
हमेशा फ़र्ज़ अपना तुम निभाओ ।
गरीबों की गरीबी तुम मिटाओ ।
हुयी बारिश भरा पानी गली में,
चलो इक नाव कागज़ की बनाओ ।
तुम्हारी बात जो सुनते नहीं हैं,
उन्हें जम कर खरी खोटी सुनाओ ।
उखाड़ो पौध नफरत की यहाँ से,
मुहब्बत की फसल हर सूँ उगाओ ।
अगर कुछ काम करना चाहते हो,
हसीनों से कभी दिल मत लगाओ ।
क़लम के जो सिपाही सो रहे हैं,
उन्हें मुश्किल घड़ी में तुम जगाओ ।
करो सेवा हमेशा दूसरों की,
किसी को भी कभी तुम मत सताओ ।
सियासत तो बड़ी गंदी हुयी है,
सियासतदान से भारत बचाओ ।
बहुत तुमने डराया लाठियों से,
हमें अब भभकियों से मत डराओ ।
अवधेश-26052020
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