ग़ज़ल
आँखें
होंठ सीकर भी बोलतीं आँखें ।
राज दिल के भी खोलतीं आँखें ।
जब रहा ही नहीं कोई दिल में,
याद में किसकी फिर बहीं आंखें ।
वो किसी बात पर हुआ गुस्सा,
तेज तूफान देखती रहीं आँखें ।
चोट दिल को मेरे लगी ऐसी,
देख पत्थर सी हो गयीं आँखें ।
जब रखा हाथ सिर पे उसने,
आँसुओं संग रो रहीं आँखें ।
झाँक के देख लें हमारा दिल,
उनको ऐसी मिलीं नहीं आँखें ।
झील सी लग रहीं नशे की जो,
आज ऐसी हमें दिखीं आँखे ।
अवधेश-03042020
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