ग़ज़ल
बंद मैखाना हुआ ।
जब यहाँ पर बंद मैखाना हुआ ।
देख खाली जाम पैमाना हुआ ।
फिर बताना क्या कहा तुमने अभी,
लग रहा है नाम पहचाना हुआ ।
आशिक़ों में नाम शामिल हो गया,
उनको देखा और दीवाना हुआ ।
फड़फड़ाने लौ लगी रोती हुयी,
जब फ़ना शम्मा पे परवाना हुआ ।
एक तो मौसम सुहाना और तू,
मन मचल कर और मस्ताना हुआ ।
याद करते हम उन्हें हरदम रहें,
सिलसिला इख्लास रोजाना हुआ ।
कल तलक जिनसे अदावत खूब थी,
अब हमारा उन से याराना हुआ ।
अवधेश-29042020
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