ग़ज़ल
रिश्ता नहीं निभाया है ।
झूठ की नींव पर बनाया है ।
तुमने रिश्ता नहीं निभाया है ।
डूबता अब कहीं मेरा सूरज,
आस का इक दिया जलाया है ।
बात कुछ तो कहीं हुयी होगी,
आज उसने हमें बुलाया है ।
हम दिलाते जिसे खुशी उसने,
बेबजह ही हमें रुलाया है ।
ख्वाब में आ रही परी कोई,
माँ ने लोरी सुना सुलाया है ।
जो नहीं दिख रहा कहीं भी पर,
ख़ौप से उसने ही डराया है ।
छोड़ कर तुम अलग हुए हमको,
दूसरों ने हमें बचाया है ।
अवधेश-08042020
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