पञ्चचामर छंद में एक रचना
बढ़ा चला जवान है
शहीद देश पे हुआ, वही बना महान है ।
महान देश के लिए, बढ़ा चला जवान है ।
उठो चलो रुको नहीं, जवान जागते रहो ।
किसान खेत में चलो, मचान तानते रहो ।
पसीजता रहे यहाँ, वही महा किसान है ।
महान देश के लिए, बढ़ा चला जवान है ।
सवाल जो करे नहीं, गरीब वो कहाँ रहे ।
कहो उसे कहाँ रहे, वहाँ रहे यहाँ रहे ।
गरीब के लिए अभी, यहाँ बना मकान है ।
महान देश के लिए, बढ़ा चला जवान है ।
अराति घात जो करे, उसे कड़ा जवाब दो ।
कठोरता बनी रहे, उसे सही हिसाब दो ।
मिसाइलें रखीं यहाँ, मिराज सा विमान है।
महान देश के लिए, बढ़ा चला जवान है ।
चलो वहाँ कली खिले, खिले जहाँ बहार है ।
रहो जहाँ खुशी मिले, कहो ज़रा कि प्यार है ।
बहार और प्यार से, भरा हुआ जहान है ।
महान देश के लिए, बढ़ा चला जवान है ।
उसे न भूख प्यास है, तना हुआ खड़ा रहे ।
हजार गोलियाँ चलें, अडिग वो अड़ा रहे ।
जवान वीर से बनी, सदैव देश शान है ।
महान देश के लिए, बढ़ा चला जवान है ।
चली चली हवा चली, चिड़ी उड़ी गली गली,
दबी दबी नहीं रही, बड़े सुखों रही पली ।
खुला खुला सभी दिशा विशाल आसमान है ।
महान देश के लिए, बढ़ा चला जवान है ।
पुकारके सुभारती, सुना रही कथा हमें ।
चलो सुनें उसे अभी, बता रही व्यथा हमें ।
दुखी कभी रहे न माँ, वही हमार जान है ।
महान देश के लिए, बढ़ा चला जवान है ।
अवधेश-28052020
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