ग़ज़ल
फूल तो खिला नहीं ।
मुझे जो खींच ले महक वो फूल तो खिला नहीं ।
कठिन जिसे हो जीतना कहीं बना किला नहीं ।
पसंद जो नहीं वही मुझे मिला जहान में,
जिसे मैं चाहता रहा कभी मुझे मिला नहीं ।
हजार दुश्मनों ने दम लगा लिया बहुत मगर,
पहाड़ सा खड़ा रहा कभी ज़रा हिला नहीं ।
गिलास भर शराब पी नशा बहुत चढ़ा इसे,
हुआ खराब हाल है तू और अब पिला नहीं ।
मैंने किया है प्यार तो न और कुछ भी चाहिए,
मिलो अगर कभी नहीं मुझे कोई गिला नहीं ।
अवधेश-24052020
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