ग़ज़ल
मत कहना भगवान नहीं है ।
जिसकी कोई आन नहीं है ।
उसकी कोई शान नहीं है ।
बिक जाए जो कुछ पैसों में
इतनी सस्ती जान नहीं है ।
गुरबत ने क्या हालत कर दी,
घर में कुछ सामान नहीं है ।
सबको बस अपने से मतलब
भारत है जापान नहीं है ।
पैदा करने वालों का भी,
घर मे ही सम्मान नहीं है ।
जो सोचा था वो पाया है,
कुछ बाक़ी अरमान नहीं है ।
फाइल जिनकी टेबल पर है,
उनसे तो पहचान नहीं है ।
घर से बाहर जाएं कैसे,
सरकारी फरमान नहीं है ।
बुझ जाए जिससे ये दीपक,
ऐसा तो तूफान नहीं है ।
उसकी मर्जी से सब होता,
मत कहना भगवान नहीं है ।
अवधेश
20032020
No comments:
Post a Comment