मुक्तक
नया सवेरा हुआ यहाँ पर,
जो चाहती थी मिला मुझे है ।
सुहाग की प्रथम रात थी ये,
जो माँगती थी मिला मुझे है ।
पिया वही तो मिले मुझे हैं,
जो दिल में मेरे बसे हुए हैं ।
यहाँ बसेरा रहे हमेशा,
जो सोचती थी मिला मुझे है ।
सभी रहें खुश यही हमेशा,
दिया जला कर दुआ करूँगी ।
कभी सेवा में कमी न होगी,
लगन लगा कर किया करूँगी ।
ननद ससुर सास और देवर,
बहन पिता मात भाई जैसे,
इन्ही से रिश्ते बने रहेंगे,
सभी से मिलकर रहा करूँगी ।
-अवधेश सक्सेना
28042020
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