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परिचय

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Sunday, May 31, 2020

कहीं और दिल को लगाया कहाँ है ।

ग़ज़ल
कहीं और दिल को लगाया कहाँ है ।

कभी आपको भी भुलाया कहाँ है ।
कहीं और दिल को लगाया कहाँ है ।

सही है मुसीबत हमीं ने अकेले,
कभी आपको भी रुलाया कहाँ है ।

सहे जो सितम वो हमीं जानते हैं,
हुआ दर्द दिल में दिखाया कहाँ है ।

रखा ख्याल आराम का हमारे,
कभी नींद से भी जगाया कहाँ है ।

मुझे छोड़ कर माँ गयी तो किसी ने,
कभी गोद में भी सुलाया कहाँ है ।

कभी तो बताना हमें भी जरा तुम, 
कमाया हुआ धन छिपाया कहाँ है ।

कभी रेत का जो घरौंदा बनाया,
बनाकर उसे फिर मिटाया कहाँ हैं ।

उड़ा आंधियों में पुराना घरौंदा,
अभी घर नया बसाया कहाँ है ।

रहो आप अंदर निकलना न बाहर,
अभी वायरस को भगाया कहाँ है ।

सुनो क्या कहा है वज़ीरे वतन ने, 
क़दम एहतियाती उठाया कहाँ है ।

लड़ाई बड़ी है उठो और सोचो,
बिगुल जंग का बजाया कहाँ है ।

रहो देखते चाँद जो है ज़मीं पे,
अभी उसने पर्दा गिराया कहाँ है ।
अवधेश
24032020

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