ख़िलाफ़त रहे
किसी से नहीं अब अदावत रहे ।
नहीं अब किसी से हिक़ारत रहे ।
हुक़ूमत करो तो करो इस तरह,
गरीबी मिटाने सियासत रहे ।
दुआ मांगते हैं ख़ुदा से यही
ये जोड़ी हमेशा सलामत रहे ।
मिलेगा वही जो हमें चाहिए,
ख़ुदा की जो होती इबादत रहे ।
किसी और की क्या जरूरत हमें,
हमें आपसे बस मुहब्बत रहे ।
नहीं ज़ुल्म हो अब किसी शख्स पर,
नहीं बागियों की बगावत रहे ।
बड़ी मुश्किलों से ये दौलत मिली,
इसे खर्चने में किफ़ायत रहे ।
बहुत सह चुके अब हटाओ इसे,
नहीं और इसकी हिमाक़त रहे ।
गरीबों से धोखा करे जो यहाँ,
उसी की हमेशा ख़िलाफ़त रहे ।
अवधेश
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