ग़ज़ल
हसरत एक पलती है
सितारों को यहां कैसी कभी सौगात मिलती है ।
खिजां में भी खुशी की जब कली भी खूब खिलती है ।
बिछा देते जमीं पर रोशनी की साफ चादर वो,
सवेरा जो हुआ तो फिर कली भी होंठ सिलती है ।
भिगो जाते हमें बादल कभी अंदर यहां आकर,
कभी थी आग इस दिल में कहीं अब और जलती है ।
मिला भरपूर जो चाहा यहां हमको खुदा से सब,
तमन्ना थी न वाकी आज हसरत एक पलती है ।
कई सूरज करें कोशिश नहीं उसको जला सकते,
जमीं पर आसमाँ पर भी खुदा की शान चलती है ।
निडर होकर रहो उस पर भरोसा छोड़ मत देना,
बिना मर्जी कभी उसकी यहां पत्ती न हिलती है ।
करो पूजा करो सेवा यहाँ माँ ही सहारा है,
सफलता के लिए माँ की दुआ भी खूब फलती है ।
#अवधेश #awadhesh
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