ग़ज़ल
पाक मुहब्बत है ।
आसान नहीं पाना जो खास जरूरत है ।
पर हार न जाना उसको पास जो हिम्मत है
विश्वास किसी पर भी बिल्कुल भी नहीं करना ।
ये बात हमेशा मानो एक नसीहत है ।
तुम खूब निभाओ सबसे कोई न मानेगा,
बदमाश यहाँ पुजते बदनाम शराफत है ।
जब आन मिली सजनी फिर फूल खिले दिल में,
जो ख्वाब कभी था वो ही आज हकीकत है ।
वो वोट कमाने को जो आग लगाते हैं,
अब कौन कहे उनकी बदनाम सियासत है ।
निर्दोष मुवक्किल गर इंसाफ नहीं पाता,
जो काम नहीं आती नाकाम बकालत है ।
कानून कहे हक सबके एक बराबर हैं,
इंसाफ करे जो ये सुप्रीम अदालत है ।
था वक्त कभी उन पर दिल जान निछावर थे,
अब देख हमारी उनसे आज अदावत है ।
तब पढ़ न सके थे दिल की बात न ही समझी,
अब साफ लिखी माथे पर एक इबारत है ।
जब छोड़ दिया अपनों का साथ यहाँ हमने,
बस एक खुदा से ही अब पाक मुहब्बत है ।
@अवधेश
@AwadheshKumarSaxena
15032020
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