#ग़ज़ल #gazal
कहो आपको क्या मुहब्बत नहीं ?
कहो आपको क्या मुहब्बत नहीं ।
हमारे लिए जो इनायत नहीं ।
घरौंदे बनाए बड़े शौक से,
पिता ने बनाई इमारत नहीं ।
लड़ाई हुई मजहबी अब यहां,
इसे रोक दो ये सियासत नहीं ।
किया जो सही था, दिया भी बहुत,
हुआ सो हुआ अब नदामत नहीं ।
मिला जो उसे यूँ न छोड़ो कभी,
सुनो आपकी ये जहानत नहीं ।
कई बार बोले यहाँ झूठ पर,
सिरों को झुकाती नदामत नहीं ।
मरे देश पर तुम शहीदो नमन,
महात्मा के जैसी शहादत नहीं ।
करो खूब सेवा दुखी दीन की,
बड़ी कोइ इससे सआदत नहीं ।
भुला दो पुरानी सभी नफ़रतें,
हमें भी किसी से अदावत नहीं ।
#अवधेश #awadhesh
07032020
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