मुक्तक
गाय
सुख देती हर चाहत में ।
1
ममता का रंग नहीं होता, ये तो पानी जैसी है ।
बच्चों को दूध पिलाती माँ, मिलती सानी जैसी है ।
देवों का वास रहे इसमें, पालें इसको गोपाला,
माँ कहती गाय हमारी माँ, फिर तो नानी जैसी है ।
2
कंडों को थाप मिले ईंधन, घर को लीपें गोबर से ।
रोगी गौ मूत्र अगर पीले, अच्छा हो वो भीतर से ।
गायों का ध्यान रखा करते, भारत में खुशहाली है,
सदियों से रोज मिला करती,रोटी इसको हर घर से ।
3
खाने को काट रहे इसको, दंडित हों वो भारत में ।
जो कोई कष्ट इसे देता, दुख पाता हर हालत में ।
अब तो कानून बने ऐसा, गायों का संरक्षण हो,
माता जो गाय हमारी है, सुख देती हर चाहत में ।
अवधेश-15062020
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