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परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Thursday, June 11, 2020

विकास पथ पर बढ़ते रहो


सावधानियां अच्छी हैं ।सर्दी जुकाम बुखार से बचे रहने के लिए भी हम सावधानी रखते हैं, आयर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा और प्राकृतिक सिद्धांतों को मानने वाला देश जिसके वेदों, शास्त्रों, योग, ध्यान, प्राणायाम, अध्यात्म के उपयोग से पश्चिम के भी कई लोग लाभान्वित हो रहे हैं, पुस्तकें लिख रहे हैं, शोध कर रहे हैं और कई देश इन्हीं पर चलकर न तो लॉक डाउन कर रहे न ही डर फैला रहे और एक भी मृत्यु इस महामारी से नहीं हुई है ।
ज्यादा डर से पैदा की गईं अव्यवस्थाओं से देश को जो नुकसान हुआ है उसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं है, कोरोना से प्रभावित होने वाले अभी तक कुछ हजार हैं लेकिन लॉक डाउन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं ।
इंटरनेट और मीडिया का उपयोग सही जानकारियां हासिल करने में होना चाहिए, जो आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं क्योंकि इस पर जो कचरा है उसी में उलझ कर रह जाते हैं ।
इस वायरस का कोई इलाज नहीं है, इसकी कोई वैक्सीन नहीं है, इसकी जांच किट 100 प्रतिशत सही रिपोर्ट नहीं देतीं हैं, इसकी मृत्यु दर अन्य वायरल फीवर के लगभग बराबर है । 97 प्रतिशत में बिना किसी दवा के ठीक हो जाता है । मरने वालों में अधिकांश वो लोग हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने, अन्य गम्भीर बीमारियां होने या मांसाहारी और अल्कोहल का सेवन करने वाले हैं ।
डर के आगे जीत का मतलब डर का डर नहीं निडर होना है ।
हर दवा के साइड इफेक्ट होते हैं, मास्क लगाने के भी साइड इफेक्ट्स हैं, इसको लगाए रखने  से कई लोग गम्भीर रूप से बीमार हो सकते हैं ।
ये वायरस एक व्यक्ति से अधिकतम 3 लोगों को संक्रमित करता है, संक्रमित को आइसोलेट करना आवश्यक है । सामान्य लोगों को सामान्य जीवन जीने देना चाहिए, देश को विकास पथ पर बढ़ते रहना चाहिए ।
एलोपैथी में इलाज ही नहीं है और आयुर्वेदिक दवाइयों से इसे ठीक किया जा सकता है तो फिर आयुर्वेदिक को महत्व दिया जाना चाहिए । कई बातें हैं जो आपकी मीडिया जनित बनी सोच के विपरीत हैं, आप क्या बड़े बड़े नीति निर्माता, नियंता नहीं समझ पा रहे या समझते हुए अन्य कारणों से मानना नहीं चाहते ।

इंस्पेक्टर राज से मनवाने वाली बातें सही नहीं हैं क्योंकि न तो निगरानी संभव है और लोकतांत्रिक देश में इंस्पेक्टर राज होना भी नहीं होना चाहिए ।
लॉक डाउन बिल्कुल नहीं होना चाहिए ।
हर्ड इम्युनिटी से ही जब इस वायरस से लड़ा जाना है तो इसके संक्रमण का प्रचार-प्रसार बंद होना चाहिए ।
बिना लक्षण वाले किसी भी व्यक्ति की जांच की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए ।
कोरोना संक्रमित के नाम, पहचान, आंकड़े, क्षेत्र की जानकारी स्वास्थ्य विभाग सार्वजनिक न करे ऐसे नियम बनें । मीडिया को मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों, दुकानदारों, छोटे व्यापारियों की समस्यायों, खेती, सड़क, पानी, शिक्षा, संस्कृति, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए ।

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