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परिचय

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Monday, June 1, 2020

चाँद तो बढ़ता रहा


#ग़ज़ल #gazal #शायरी #shayri
चाँद तो बढ़ता रहा ।

आसमाँ में चाँद तो बढ़ता रहा ।
नूर उनका दिन व दिन घटता रहा ।

सुन रहे थे वो बड़े ही ध्यान से,
प्यार की मैं ये ग़ज़ल पढ़ता रहा ।

रुक गए तुम बीच में ही हारकर,
जिंदगी का काफिला चलता रहा ।

जो बहुत ही कीमती होता यहाँ,
वो समय यूँ ही मेरा कटता रहा ।

मानना उनको नहीं था कुछ कभी
जो मुझे कहना था मैं कहता रहा ।

चोट दिल पर जब लगी तड़पा गयी,
दर्द मुझको जो मिला सहता गया ।

आग नफरत की लगी तो सब जला,
ये धुंआ तो देर तक उठता रहा ।

सच नहीं बिकता कभी अब यहाँ,
झूठ इस बाजार में बिकता रहा ।

ये नदी तो सूख कर थम सी गयी,
प्यार का दरिया मगर बहता रहा ।
#अवधेश #awadhesh
08032020

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