पुराना घर बदलना चाहिए था ।
नई दुनिया बसाना चाहिए था ।
मुहब्बत थी अगर हमसे कभी तो,
उन्हें इज़हार करना चाहिए था ।
सदर पे आ गयी कितनी चमक है,
शहर को भी निखरना चाहिए था ।
खिले हैं फूल गुलशन में सनम के,
उन्हें अब तो सँवरना चाहिए था ।
पतंगा जल रहा था प्यार में जब,
शमाँ को भी पिघलना चाहिए था ।
तुम्हारे बात करने से हुआ क्या,
नतीजा भी निकलना चाहिए था ।
लगी ठोकर गिरे कच्ची सड़क पे,
तुम्हें खुद ही सम्हलना चाहिए था ।
अवधेश सक्सेना-
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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