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परिचय

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Tuesday, June 23, 2020

देश प्रेम पर वीर छंद में एक रचना

देश प्रेम पर वीर छंद में एक रचना 
 
गणपति हो तुम बुद्धि प्रदाता, ये लो लड्डू मेवा पान ।
 प्रथम आपको ही हम पूजें, रखो हमारा पूरा ध्यान । 
 
शारद माता के चरणों में, शीश नवाकर मांगे ज्ञान । 
शुद्ध करो माँ लेखन वाणी, रहे हमारी ऊंची शान ।

देश प्रेम
 1
देश हमारा सबसे प्यारा, इस पर सब कुछ है कुर्बान ।
लाखों वीर शहीद हुए थे, आज़ादी के गाते गान । 
अलग अलग हैं भाषा बोली, जिनसे इसकी है पहचान । 
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, मिलकर बनता हिंदुस्तान । 
गर्मी कभी कभी है सर्दी, सूखा कहीं कहीं बरसात ।
कदम कदम पर मौसम बदले, जगह जगह बदले दिन रात ।
 4 
राम कृष्ण अवतार यहीं थे, बुद्ध यहीं यहीं महावीर । 
राह दिखाएं नानक मीरा, खुसरो तुलसी और कबीर । 
राणा और शिवा की गाथा, भर देती वीरों में जोश । 
एक वीर जब सौ को मारे, दुश्मन के उड़ जाते होश ।
 6
मंगल पांडे ने सुलगाई, आज़ादी की पहली आग ।
 मिलकर लड़ते लक्ष्मी तात्या, जाते गोरे डर के भाग । 
विवेकानंद ने दुनिया को, दिया धर्म का सच संदेश । 
परम धर्म है सत्य अहिंसा, गांधी जी के हैं उपदेश । 
आज़ादी के थे मतवाले, बिस्मिल भगत और आज़ाद । 
राजगुरु सुखदेव के जैसे, अमर शहीद रहेंगे याद ।
 9 
चले मशाल क्रांति की लेकर, लाखों भारत माँ के लाल । 
लाठी खाने आगे लाला, क्रांति दूत पाल और बाल । 
10 
सुभाष चन्द्र थे देश नेता, आज़ाद हिंद फ़ौज महान ।
 अंग्रेजों को मार भगाया, प्राणों का देकर बलिदान । 
11
 सत्य अहिंसा की ताकत से, गांधी करते थे एलान, 
अंग्रेजो भारत को छोड़ो, घर तुम्हारा इंग्लिशतान । 
12
हुआ देश आज़ाद हमारा, नेहरू बने प्रथम प्रधान ।
पटेल ने दायित्व निभाया, एक बनाया हिंदुस्तान । 

 अवधेश सक्सेना-23062020

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