हरिगीतिका छंद
हम करें ये वंदना
हे शिव हमारी ओर देखो,कर रहे हम साधना ।
हो आपकी कृपा हमेशा, हम करें ये वंदना ।
हे हिम दुलारी के पति तुम, गणपति के हो पिता,
हम भक्त जन की आपसे है, मोह की कुछ कामना ।
रावण तुम्हारी भक्ति करके, पा गया वरदान था ।
वो राम को समझा नहीं था, छा गया अभिमान था ।
सीता हरण उसने किया तो, राम का दुश्मन बना,
वो राम के हाथों मरा था, जो महा बलवान था ।
आराध्य हैं जो आपके भी, राम उनका नाम है ।
आया तपस्या भंग करने, मिट गया वो काम है ।
अपमान जब देखा सती ने, यज्ञ में आहुति हुयीं,
उन माँ सती का स्थान है जो, शक्ति का वो धाम है ।
कैलाश पर्वत पर रहो या, हो हमारे पास में ।
हम तो रहेंगे हर हमेशा, आपकी ही आस में ।
हम वेलपत्री और जल से, कर रहे अभिषेक हैं ।
अब आपकी ही भक्ति करते, आपके आवास में ।
अवधेश-11062010
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