#ग़ज़ल #gazal
भगवान साथ चलता है
जहाँ नजर पड़ती एक ही नजारा है ।
उसे किया सब अर्पण वही सहारा है ।
नसीब से सब मिलता यहां हमें मानो,
कभी जमीन कभी आसमान मिलता है ।
दिखे कभी हमको जुल्म बेबसों पर तो,
लहू रगों का हमारी बहुत उबलता है ।
बहुत दिनों तक जिसको कहीं नहीं देखा,
वही जमाल दिखा तो ये मन मचलता है ।
मिले मुझे कब मंजिल मुझे यहाँ मेरी,
दबा हुआ मन में ये ख्वाब पलता है ।
जिसे यहाँ तब कोई नहीं समझता था,
बिना रुकावट वो आज राज करता है ।
कठिन डगर पर चलना अगर कहीं हो तो,
निडर चलो जब भगवान साथ चलता है ।
@अवधेश @awadhesh
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