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परिचय
नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...
Thursday, June 25, 2020
संस्मरण जीवन संघर्ष
संस्मरण
जीवन संघर्ष
एक विधवा माँ अपने 8-9 साल के बेटे के साथ सर्किट हाउस के बाहर भीड़ में खड़ी थी, उसके हाथ में एक आवेदन था जो एक बुजुर्ग सज्जन ने सहानुभूति पूर्वक लिख दिया था, भीड़ में खड़े खड़े बहुत देर हो गयी थी तभी थोड़ी हलचल हुई, कारों का काफ़िला सर्किट हाउस पर आकर रुका, मुख्यमंत्री जी आ चुके थे, पुलिस ने आवेदन देने वालों की लाइन लगवा दी थी, माँ बेटे लाइन में लगे थे, ये माँ अपने छोटे बेटे को हर जगह अपने साथ ले जाती थी, बड़ा बेटा तो कहीं न कहीं काम करने जाता था, पति के देहांत के बाद अपने दोनों बेटों वाले छोटे से परिवार के भरण पोषण के लिए हर संभव प्रयास करने वाली माँ अपने पति की मृत्यु उपरांत मिलने वाली परिवार पेंशन की स्वीकृति के लिए मुख्य मंत्री को आवेदन देने आयी थी । छोटा बेटा सोच रहा था कि मुख्यमंत्री जी हमारी समस्या को जरूर हल कर देंगे, माँ को परिवार पेंशन मिलने लगेगी । हमारी आर्थिक हालत में कुछ सुधार होगा ।
लाइन में लगे हुए बहुत देर हो गयी थी, महिलाओं की लाइन हालांकि छोटी थी लेकिन मुख्यमंत्री जी सभी को ध्यान से सुन रहे थे इसलिए भी समय लग रहा था । माँ बेटे भी अपना नम्बर आने पर मुख्यमंत्री के सामने पहुंचे तो बेटे ने देखा कि माँ ने मुख्यमंत्री जी के हाथ में आवेदन देकर अपने पति की मृत्यु और दोनों बेटों के साथ आर्थिक तंगी झेलने जैसी बातें बतायीं और मुख्यमंत्री जी के सामने जमीन पर उनके पैरों से थोड़ी दूर अपना सिर रख दिया और रोते रोते पेंशन मंजूर करने के लिए कहने लगी । बेटे को मन ही मन इस परिस्थिति पर बहुत क्रोध आ रहा था कि उसकी माँ को इस तरह से सर झुका कर किसी से कुछ माँगना पड़ रहा है । मुख्यमंत्री जी ने पूरी बात ध्यान से सुनी, परिवार पेंशन कुछ दिन मिलने के बाद सरकार के किसी आदेश के कारण बंद कर दी गयी थी और इस आदेश से कई परिवार प्रभावित हुए थे । मुख्यमंत्री जी ने आवेदन पर कुछ लिखा और उसे अपने पास खड़े एक अधिकारी को दे दिया और माँ से कहा कि आप चिंता मत करो हमारी सरकार आपके साथ है, आपकी पेंशन बहुत जल्दी मंजूर हो जाएगी । वो माँ बेटे खुशी खुशी वहाँ से वापिस घर आए और उम्मीद करने लगे कि मुख्यमंत्री जी ने कहा है तो पेंशन जल्दी मंजूर हो जाएगी ।
समय निकलता गया, उम्मीद जाती रही । पेंशन मंजूर न हो सकी ।
लगभग 20 साल बाद सरकार ने ऐसे परिवारों की पेंशन चालू करने के लिए एक आदेश निकाला जिसका समाचार अखबार में छपा जिसे उस छोटे बेटे ने पढ़ा और उसके अनुसार माँ की तरफ से आवेदन बनाया, पिता के कार्यालय में संपर्क कर उनके सर्विस रिकॉर्ड से पूरी जानकारी सत्यापित कराके आवेदन स्वीकृति के लिए भेजा और माँ की परिवार पेंशन स्वीकृत हो गयी, माँ को इस परिवार पेंशन का पिछला पूरा एरियर भी मिला । खुशी मिली क्योंकि ये उस माँ के पति के नाम से जो थी । बेटों को मिलने वाली वेतन की तुलना में ये बहुत कम राशि थी लेकिन बेटों को भी बहुत अच्छा लगा, इस पेंशन को उन्होंने अपने वेतन से लाख गुना अधिक माना । छोटे बेटे के मष्तिष्क में इस परिवार पेंशन के लिए मुख्यमंत्री के सामने जमीन पर सर रखती हुई माँ का वो दृश्य उभर आया । ये दृश्य कभी भुलाया भी नहीं जा सकता ।
अवधेश सक्सेना-24062020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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