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परिचय

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Tuesday, June 30, 2020

रोशनी रह गयी

ग़ज़ल 
रोशनी रह गयी 

चाँद रातें गयीं तीरगी रह गयी । 
जुगनुओं की मगर रोशनी रह गयी । 

जो लगे ऐश के दाग़ सब धुल गए, 
दिल पे लिक्खी मगर सादगी रह गयी । 

जो अदावत कभी थी पुरानी यहाँ, 
देख वो मिट गई दोस्ती रह गयी । 

आपने प्यार से बात जो मान ली, 
आज इज्ज़त हमारी ढँकी रह गयी । 

इश्क़ में हो गयी खूब रुसवाई थी, 
छाप जो लग गयी लगी रह गयी । 

रोग ऐसा लगा ये हमें इश्क़ का, 
होश जाता रहा बेख़ुदी रह गयी । 

हम जुदा क्या हुए आपको छोड़कर, 
ये जहाँ लुट गया ज़िन्दगी रह गयी । 

 अवधेश सक्सेना 06062020

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