हरिगीतिका छंद में
माँ सरस्वती वंदना
माँ शारदे देवी सुनो ये, वंदना जो गा रहे ।
माँ आपकी ही है कृपा तो, ज्ञान को हम पा रहे ।
रागों सजी वीणा बजे तो, साधना हो आपकी ।
ये तूलिका जो भी लिखे तो, कामना हो आपकी ।
माँ श्वेत वस्त्रों से सजी हो, शांति भी लाती रहो ।
जो आपको ही भा रहे हों, गीत वो गाती रहो ।
राजीव पे बैठो सदा ही, हाथ में वीणा लिए ।
विद्या हमें देना सदा मां, हम जलाते नव दिए ।
जो जीभ पे आ बैठतीं तो, बोल मीठे ही बहें ।
जो बुद्धि पे डाका पड़े तो, तीर सी बातें कहें ।
है सोम सा जो रूप सादा, आपका श्रृंगार है ।
माँ आपके आशीष से ही, प्रेम का संसार है ।
हैं दोष जो वो दूर भागें, जो गुणों की खान दो ।
माँ आपसे ये प्रार्थना है, बुद्धि विद्या ज्ञान दो ।
वाणी हमारी शुद्ध होवे, आप जिव्हा पे रहो ।
ये लेखनी जब भी लिखे तो, आप अक्षर पे रहो ।
अवधेश-04062020
No comments:
Post a Comment