मेरी मौलिक विधा #प्रियामृतावधेश में एक रचना
9 पंक्तियां 2,4,6,8,10,12,14,16,18 मात्राएं
9 पंक्तियां 18,16,14,12,10,8,6,4,2 मात्राएं
आदि और अंत तुकांत
18 मात्राओं वाली पंक्तियां तुकांत ।
#अपनों_संग
जब
आँखें
खुलीं सुबह
खिड़की में से
सूरज झाँक रहा
मैं रोज जगाता था
आज मुझे वो जगा रहा
नींद बहुत अच्छी आई थी
रात जो गुजरी थी अपनों संग ।
खिलखिलाए झूमे मेरे अंग ।
अपने तो अपने होते हैं
बाकी तो सपने होते
तन मन अच्छा रखने
अपनों से बातें
जरूर करना
मन भरना
तुम भी
अब
अवधेश सक्सेना -12062020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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