Featured Post

परिचय

 नाम -इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना पिता का नाम- स्व.श्री मुरारी लाल सक्सेना शैक्षणिक योग्यता - DCE(Hons.),B.E.(Civil), MA ( Sociology), LL.B., ...

Friday, November 5, 2021

ग़ज़ल प्राथमिक शिक्षा

 ग़ज़ल का मदरसा -17 

==============

आदरणीय R.s. Bagga जी के आदेश के अनुसार "ग़ज़ल का मदरसा " इस आयोजन का सत्रहवाँ  अंक लेकर नाचीज़ आप की सेवा में हाज़िर है | "ग़ज़ल का मदरसा " की पिछली 16  कड़ियों में ग़ज़ल से संबधित मूलभूत ज्ञान सरल भाषा में आप को देने की कोशिश की है |  जो लोग अभी तक पिछले अंक नहीं देख पाए हैं उनके लिए इस अंक में लिंक उपलब्ध है ,पुरानी सभी कड़ियाँ देख सकते हैं , शेयर कर सकते हैं | कहीं पर कॉपी करके सेव कर सकते हैं | इस अंक से हम एक बह्र पर अभ्यास का क्रम शुरू कर रहे हैं | जो लोग इसमें रुचि रखते हैं , वे सिर्फ़ और सिर्फ़ दी गई बह्र पर ही अपनी ग़ज़लें कमेंट में प्रस्तुत कर सकते हैं , दी गई बह्र के अलावा अपनी रचना पटल पर प्रस्तुत करें | आपकी ग़ज़लों में कोई कमी दिखाई देगी  तो नाचीज़ अपनी जानकारी के अनुसार अपने सुझाव देने की कोशिश करेगा | अन्य विद्वान भी अपने सुझाव दे सकते हैं | विद्वान भी संबधित बह्र पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं | उम्मीद की जाती है अधिक से अधिक लोग इस आयोजन में भाग लेंगे | आपकी ग़ज़ल में क़ाफ़िया एवं रदीफ़ आपके होंगे | 

**

आज की बह्र है --बहर-ए-रमल मुसद्दस महजूफ़

मापनी -2122  2122  212

अरकान-फ़ाइलातुन- फ़ाइलातुन -फ़ाइलुन

**

गीत --दिल के' अरमाँ/ आँसुओं में/ बह गए =2122 / 2122 /212 

++ग़ज़ल++

थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ

क्यों परेशां हैं चमन में तितलियाँ

साल सत्तर से भले आज़ाद हैं

आज भी सजती बदन की मंडियाँ

अब घरों में भी कहाँ महफ़ूज़ है

ख़ौफ़ के साये में रहती बेटियाँ

कहते हैं हम बेटा-बेटी एक से

फ़र्क़ बाक़ी है नज़र के दरमियाँ

है विदाई का वही मंज़र 'तुरंत '

सिसकियाँ शहनाइयाँ और हिचकियाँ

--गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी | 


**तक़्तीअ **

थम रही हैं/ क्यों नहीं ये/ सिसकियाँ =2122 / 2122 /212

क्यों परेशां/ हैं चमन में/ तितलियाँ =2122 / 2122 /212

**

यह एक ग़ैर-मुरद्दफ़ ग़ज़ल है | जिसमें 

इयाँ -स्वर के क़ाफ़िया बाँधे गए हैं |

**


जिन साथियों ने पुराने अंक नहीं देखे हैं उनके लिए लिंक --

(1 https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/673427313216147/

(2 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/678984425993769/

(3 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/683627432196135/

(4 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/688289735063238/

(5 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/692840591274819/

(6)https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/697322907493254/

(7 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/701738800384998/

(8 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/706169423275269/

(9 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/710945876130957/

(10 ) https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/715609568997921/

(11 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/720102025215342/

(12 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/724901464735398/

(13 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/729878064237738/

(14 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/734719017086976/

(15 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/739989296559948/

(16 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/745226856036192/

**

"ग़ज़ल के मदरसा " के पाठ कहीं save कर लें ,या इस पोस्ट को share कर लें | जो SHARE एवं SAVE के झंझट से मुक्त रहना चाहते हैं वे यदि चाहें तो मेरी ई-बुक --"ग़ज़ल प्राथमिक शिक्षा" अमेजन डॉट इन से खरीद कर डाउनलोड कर सकते हैं| अभी इस बुक का पेपरबैक संस्करण उपलब्ध नहीं है | लिंक इस प्रकार है :- -https://www.amazon.in/dp/B089NDBGHR

Friday, October 29, 2021

ग़ज़ल के वारे में

 ग़ज़ल का मदरसा -16 

==============

आदरणीय R.s. Bagga जी के आदेश के अनुसार "ग़ज़ल का मदरसा " इस आयोजन का सौलहवाँ अंक लेकर नाचीज़ आप की सेवा में हाज़िर है | "ग़ज़ल का मदरसा " की पिछली 15  कड़ियों पर आपकी प्रतिक्रियाएं देखकर ख़ुशी हो रही है| जो लोग अभी तक नहीं देख पाए हैं उनके लिए इस अंक में लिंक उपलब्ध है ,पुरानी सभी कड़ियाँ देख सकते हैं , शेयर कर सकते हैं | कहीं पर कॉपी करके सेव कर सकते हैं |पिछले अंक में फिल्मों धुनों पर आधारित बह्र के बारे में जानकारी दी गई थी | इस बार कुछ और बहूर और उन पर फ़िल्मी गीतों की जानकारी का संकलन प्रस्तुत है |

**

पाठ 12 (3 ) -फ़िल्मी धुनों का प्रयोग

=======================

अगले पाठों में आपको हर लोकप्रिय बह्र पर मेरी एक ग़ज़ल के माध्यम से अभ्यास करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा | बह्र साधने के लिए सबसे सरल उपाय है फ़िल्मी गीतों की धुनें | इन फ़िल्मी धुनों पर गुनगुनाकर यदि शेर की पंक्तियाँ लिखी जाये तो निश्चित रूप से बह्र में कोई रूकावट नहीं होगी |मैंने स्वयं फ़िल्मी धुनों के आधार पर ही बह्र साधना सीखा है ,अब मुझे किसी भी बह्र में लिखने में कोई दिक्कत नहीं होती है | मेरी हर ग़ज़ल के एक शेर की "तक़्तीअ " भी इन पाठों में दी जाएगी | जिससे मिसरे की मात्रा किस आधार पर तय हुई इसका पता चलेगा और अभ्यास में सहायक होगा | जो बहूर(बहरें =बह्र का बहुवचन ) अलोकप्रिय हैं उन्हें छोड़ दिया गया है ताकि अधिकतर शाइर जिन बहूर का प्रयोग करते हैं आप उन पर अभ्यास कर सकें और आसानी से लिखना सीख सकें |

**

जिस अक्षर की मात्रा ग़ज़ल में गिराई गई है उसके ऊपर (')यह निशान अंकित किया गया है ताकि आपको ज्ञान हो सके कौन से दो मात्रा के अक्षर(दीर्घ या गुरू ) को एक मात्रा (लघु ) माना गया है | अगले पाठों में दी गई बहूर पर भी यदि आप पूरे मन से अभ्यास करते हैं तो आप ग़ज़ल के शिल्प पर पकड़ बना लेंगें | लेकिन अभ्यास आपको निरंतर करना है जिससे क्रम न टूटे | यदि बीच में हार मानकर कोई छोड़ देता है तो पुनः शुरू से शुरूआत करनी होगी यह ध्यान रहे | जो उस्ताद लोग छुपाते हैं वही सब गुर मैंने आसान शब्दों में आपको सिखाने की कोशिश की है |

**

बह्र के अनुसार फ़िल्मी गीतों का एक संकलन प्रस्तुत कर रहा हूँ ,इन गीतों की तक़्तीअ आपकी सुविधा के लिए की गई हैं जिसके आधार पर कौनसा लघु और कौनसा अक्षर गुरू (दीर्घ ) लिया गया है आपको मालूम हो जाएगा | इन गीतों के यु-ट्यूब लिंक भी आपके साथ शेयर कर रहा हूँ ताकि आप को गीत तलाश करने में कोई दिक्कत न हो |

**

 (25 )

बहर ए रजज़ मुसम्मन महजूफ़

अरकान- मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन फ़अल

मापनी -2212  2212  2212 12 

गीत- हम लाये' हैं/ तूफ़ान से/ कश्ती निका/ल के =2212  2212  2212 12 https://www.youtube.com/watch?v=ddrx8288qwA

(26 )

बहर ए रजज़ मख़्बून मरफ़ू मुखल्ला  

मापनी=121  22 121  22 121  22  121  22

अरकान-मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन

गीत-1 --नसीब में जिस/ के' जो लिखा था / वो' ते/री' महफ़िल-- में' काम आया 

=12122 /12 122 /1212 2 / 12 122 

https://www.youtube.com/watch?v=AoJ-iiWsLJA

गीत-2 -- .हज़ार बातें /कहे ज़माना /मे'री वफ़ा पे /यक़ीन रखना  

=12122 /12 122 /1212 2 / 12 122 https://www.youtube.com/watch?v=eB_rwdvByYc

गीत-3 -- छुपा/ लो' यूँ दिल' में' प्यार मेरा कि जैसे' मंदिर में' लौ' दिये  की 

=12122 /12 122 /1212 2 / 12 122 https://www.youtube.com/watch?v=QG5XxX5OF0k

(27 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन सालिम

मापनी=212 212 212 212 

अरकान=फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

**

गीत-1 --कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों =212 /212 /212 /212 https://www.youtube.com/watch?v=n6yTCblgAQQ

गीत-2 -- गीत गा/ता  हूँ मैं/ गुनगुना/ता हूँ मैं=212 /212 /212 /212 https://www.youtube.com/watch?v=Ays7xJK8UF8

(28 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन सालिम 16 रुकनी 

मापनी=212 212 212 212 212 212 212 212 

अरकान=फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

गीत-1 --तुम अगर/ साथ दे/ने का’ वा/दा करो/, मैं यूँ’ ही/ मस्त नग/मे सुना/ता रहूँ

=212 /212 /212 /212 / 212 /212 /212 /212

https://www.youtube.com/watch?v=rPIs4BD7_K0

गीत-2 --आप यूँ /ही अगर / हम से' मिल /ते रहे /देखिये / एक दिन / प्यार हो /जाएगा 

=212 /212 /212 /212 / 212 /212 /212 /212 

https://www.youtube.com/watch?v=3Ez_GyVEST0

(29 )

बहर ए मुतदारिक मुसद्दस सालिम

मापनी-=212 212 212 

अरकान =फाइलुन फाइलुन फाइलुन

गीत-1 --ज़िंदगी की न टूटे लड़ी =212 /212 /212 

https://www.youtube.com/watch?v=tELPCEj9wh0

गीत-2 --ज़िंदगी/ प्यार का/ गीत है =212 /212 /212 

https://www.youtube.com/watch?v=M9YGUkKphsg

(30 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन अहजज़ आखिर 

मापनी-=212 212 212 2 

अरकान =फाइलुन फाइलुन फाइलुन फ़ा 

गीत-1 -- ज़िन्दगी/ इक सफ़र/ है सुहा/ना=212 /212 /212 / 2

 https://www.youtube.com/watch?v=D4dQoMXh-7k

गीत-2 --आज सो/चा तो आँ/सू भर आ/ये =212 /212 /212 / 2 https://www.youtube.com/watch?v=PcOfJLdIh1M

(31 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन अहजज़ आखिर 16  रुकनी 

मापनी-=212 212 212 2  212 212 212 2 

अरकान =फाइलुन फाइलुन फाइलुन फ़ा 

गीत-1--इश्क़ में /हम तुम्हें/ क्या बता/यें/ किस क़दर/ चोट खा/ये हुए/हैं

=212/212/212/2/ 212/212/212 /2 

https://www.youtube.com/watch?v=Lz_7j1g9Veg

गीत-2 -- भर दो’  झो/ली मेरी /या मुहम्मद-- लौटकर/ मैं न जा /ऊँगा’ खाली

=212/212/2122-- 212/212/2122

https://www.youtube.com/watch?v=TQayTtJqEgM

(32 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मिन मखबून मक़तूअ महज़ूफ़

मापनी - 22 22 22 2 

अरकान -फैलुन फैलुन फैलुन फ़ा

गीत-1-- अच्छी सी गुड़ि/या ला/ना =22 /22 /22 /2 

https://www.youtube.com/watch?v=Ke5QWnrvVbo

(33 )

बहर ए मुतदारिक मुसम्मन अस्लम

मापनी-=22  22 22 22 

अरकान =फैलून फैलून फैलून फैलून

 ( इस बह्र की खासियत है इसमें 22  की जगह , 112 ,211  भी ले सकते हैं , इसे फैलून की बह्र भी कहा जाता है |

गीत-1--मैं पल /दो पल /का शा/यर हूँ=22 /22 /22 /22 

https://www.youtube.com/watch?v=QkGqpVYjLUw

गीत-2--दो दिल/ टूटे /दो दिल/ हारे=22 /22 /22 /22 

https://www.youtube.com/watch?v=JI_a781Z-Vc

(34 )

बहर ए मुतदारिक मुज़ाइफ़ (12 रूकुनी ) मखबून मक़तूअ महज़ूफ 

मापनी - 22 22 22 22 22 2 

अरकान -फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फ़ा

गीत-1--फूलों का तारों का सबका कहना है=22 /22 /22 /22 /22 /2 https://www.youtube.com/watch?v=pNaku4zwRuM

गीत-2--देखो मैंने देखा है ये इक सपना =22 /22 /22 /22 /22 /2 https://www.youtube.com/watch?v=q7iZe8GY8jw

(35 )

बहर ए मुतदारिक मुज़ाइफ़( 16 रुकुनी ) मखबून मक़तूअ महज़ूफ 

(इसे बहरे-मीर भी कहते हैं )

मापनी - 22 22 22 22 22 22 22 2 

अरकान -फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फ़ा

गीत-1-- कसमें /वादे /प्यार व/फ़ा सब/ बातें/ हैं बा/तों का/ क्या =22 /22 / 22 / 22 /22 /22 /22 /2 https://www.youtube.com/watch?v=oIiHAKDfksk

गीत-2--. बस्ती/ बस्ती /पर्वत/ पर्वत/ गाता/ जाये/ बनजा/रा =22 /22 / 22 / 22 /22 /22 /22 /2 https://www.youtube.com/watch?v=Ec4V8REAT5I

(36 )

बहर ए मुतदारिक मुज़ाइफ़ 16 रुकुनी मखबून मक़तू'अ 

(फैलुन की बह्र -इसमें 112 और 211  को भी 22  माना जाता है )

मापनी - 22 22 22 22 22 22 22 22  

अरकान -फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन

गीत-1--जीवन/ से' भरी /तेरी/ आँखें/ मजबू/र करे /जीने/ के' लि/ए

=22 /22 / 22 / 22 /22 /22 /22 /22 https://www.youtube.com/watch?v=6VZDEcwcCak

गीत-2--दीवा/नों से/ ये मत/ पूछो/ दीवा/नों पे/ क्या गुज़/री है ।

=22 /22 / 22 / 22 /22 /22 /22 /22 https://www.youtube.com/watch?v=7eEgZkaBcfo

**

जिन साथियों ने पुराने अंक नहीं देखे हैं उनके लिए लिंक --

(1 https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/673427313216147/

(2 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/678984425993769/

(3 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/683627432196135/

(4 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/688289735063238/

(5 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/692840591274819/

(6)https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/697322907493254/

(7 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/701738800384998/

(8 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/706169423275269/

(9 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/710945876130957/

(10 ) https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/715609568997921/

(11 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/720102025215342/

(12 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/724901464735398/

(13 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/729878064237738/

(14 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848?post_id=७३४७१९०१७०८६९७६

(15 )https://www.facebook.com/groups/581036979121848/permalink/739989296559948/

**

नोट-जो लोग मुफ़्त ग़ज़ल की यह शिक्षा लेना चाहते हैं ,वे "ग़ज़ल के मदरसा " के पाठ कहीं save कर लें ,या इस पोस्ट को share कर लें | जो SHARE एवं SAVE के झंझट से मुक्त रहना चाहते हैं वे यदि चाहें तो मेरी ई-बुक --"ग़ज़ल प्राथमिक शिक्षा" अमेजन डॉट इन से खरीद कर डाउनलोड कर सकते हैं| अभी इस बुक का पेपरबैक संस्करण उपलब्ध नहीं है | लिंक इस प्रकार है :- -https://www.amazon.in/dp/B089NDBGHR

Friday, October 15, 2021

मात्रा भार

 #विषय _:- #मात्रा_भार व गणों की पहचान#


 नोट :- मुक्तक-रचनाओं व छंद- रचनाओं के लिये मात्रा भार गणना और सभी आठ गणों की ज्ञान होना रचनाकारों के लिये आवश्यक है।यद्यपि, सिर्फ इसी जानकारी से मुक्तक या छंद लिखना आ जायेगा, ऐसा नहीं है। लेकिन बिना इसके जानकारी के तो सही-सही लिखना तो असम्भव ही समझिये। इसी परिपेक्ष्य को ध्यान में रखकर अधोलिखित जानकारी दी जा रही है। इस आशा के साथ कि कम से कम सभी रचनाकार इसका ध्यान अपने मुक्तक-सृजन में अवश्य देंगें और सभी पंक्तियों में समान मात्रा-भार मुक्तक लिखेंगें। सिर्फ चार पंक्तियों में प्रयास की शुरूआत करें जो आगे आपके अन्य रचनाओं में स्वत: सहायक सिद्ध होगा।B

     --------------मात्रा भार------------

भाषा बोलचाल का माध्यम है, अत: सभी नियम जो भी बने उसका आधार भी अक्षरों का सुर ही रहा।हिंदी में अक्षरों को दो ग्रुप में रखा गया है।

(१) स्वर:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं,अ: और ऋ


नोट:- इसमें अ, इ, उ, ऋ लघु मात्रिक हैं, इनसे ह्रस्व स्वर निकलता है। इन चारों का मात्रा भार 1 होता है। ये किसी व्यंजन से जुड़ते हैं तो व्यंजन के मात्रा भार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जैसे :- क +इ = कि का मात्रा भार 1 ही होगा। ग+उ= गु  म+ऋ=मृ का मात्रा भार 1 ही होगा।

इन चारों(अ इ उ ऋ) को छोड़कर सभी स्वर दीर्घ मात्रिक या गुरू कहलाते हैं। इनका मात्रा भार 2 होता है। ये किसी व्यंजन से जुड़ते हैं तो उसे भी दीर्घ मात्रिक या गुरू कर देते हैं तथा व्यंजन का मात्रा भार 2 हो जाता है। उदाहरण के लिये :- क + ई = की, ल+ऊ = लू , स+ओ= सो ।सभी गुरू व दीर्घ मात्रिक हो गये तथा मात्रा भार हुआ 2।


(२) व्यंजन:- क,ख,ग,घ,.........   से लेकर क्ष, त्र, ज्ञ तक सभी व्यंजन हैं।


नोट:-क्ष त्र और ज्ञ को छोड़कर सभी व्यंजन स्वतंत्र रूप से लघु मात्रिक या लघु ही कहलाते हैं और इनका मात्रा भार 1 होता है। क्ष त्र और ज्ञ का मात्रा भार इनके शब्दों में प्रयोग के आधार पर निर्धारित होता है। क्ष त्र और ज्ञ को संयुक्ताक्षर कहते हैं। जिनके शब्दों में प्रयोग के आधार पर मात्रा भार निर्धारित होता है।


उदाहरण देखें:-


क्षमा=1+2=3 क्षरण=1+1+1=3 क्षोभ 2+1=3 क्षमा,क्षरण और क्षोभ का उच्चारण करने में क्ष का ष् नहीं आया, इसलिये इसे लघु मान मात्रा भार 1 लिया गया। ऐसा तभी होगा जब क्ष शब्द का पहला अक्षर हो।अब आगे देखें।

कक्ष= क+क्+ष्+अ=2+1=3, कक्षा= क+क्+ष्+आ =2+2=4 रक्षाम=र+क्+ष्+आ+म=2+2+1=5(जबकि सरसरी तौर पर कक्ष, कक्षा और रक्षाम देखने से 2 3 और 4 मात्रा भार लगेगा जोकि गलत है। इसी प्रकार अब ज्ञ को देखें।


ज्ञ भी उपरोक्त वर्णित क्ष के नियम पर चलेगा। यदि शब्द

ज्ञ से शुरू होगा तो मात्रा भार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन बीच में आयेगा तो अपने बायें या पहले पड़ने वाले अक्षर को दीर्घ या गुरू कर देगा। जैसे:-

ज्ञान= ज्+ञ्+आ+न =2+1=3 क्योंकि अर्ध अक्षर शब्द के शुरू में हो तो उसकी गणना नहीं होती। अर्ध अक्षरों के समायोजन पर मात्रा भार की गणना में इस पर आगे पुन: चर्चा करूँगा।

यज्ञ=य+ज्+ञ=2+1=3

विज्ञान=वि+ज्+ञा+न=2+2+1=5

इसी प्रकार संयुक्ताक्षर श्र और त्र को देखें। यह पहले आने पर लघु मात्रिक रहता है और मात्रा भार 1 लेकिन बाद में आने पर अपने से पहले के अक्षर को दीर्घ मात्रिक यानि गुरू कर देता है। और स्वयं लघु बना रहता है। अगर पहले वाला अक्षर दीर्घ मात्रिक हो तो कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

पत्र=प+त्+र=2+1=3 त्रिदेव= त्रि+दे+व=1+2+1=4

क्षत्रिय:2+1+1=4 श्रम =1+1=2 परिश्रम =1+2+1+1=5

आश्रम=आ+श्र+म= 2+1+1=4 ।

नोट:- क्षत्रिय में त्र ने क्ष को दीर्घमात्रिक कर दिया और मात्रा भार 2 हो गया जबकि आपने उपर देखा था कि क्ष अक्षर यदि शब्द के शुरू में हो तो लघु और मात्रा भार 1 रहता हैः परिश्रम में श्र ने रि को दीर्घ व गुरू कर दिया और मात्रा भार 2 हो गया। जबकि आश्रम में श्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि पहले का अक्षर 'आ' पहले से ही गुरू या दीर्घ है।


अर्ध अक्षर समायोजन से मात्रा भार पर प्रभाव:- 


(1) अर्ध अक्षरों कि कोई गिनती नहीं होती हैं लेकिन शब्दों में प्रयोग के अनुसार इनका प्रभाव अन्य अक्षरों पर पड़ता है।अर्ध अक्षर शब्दों में प्रयोग होने पर हमेशा अपने बायें यानि पहले पड़ने वाले अक्षर को ही प्रभावित करता है। अपने बाद यानि दाहिने पड़ने वाले अक्षर पर कोई प्रभाव नहीं डालता। यही कारण है कि यदि इससे पहले या बायें कोई अक्षर न हो यानि यह स्वयं शब्द के शुरूआत में आये तो उसे नगण्य मानकर चलते है और उसकी गिनती मात्रा भार में नहीं करते। जैसे:-प्यार में प् की गिनती नहीं होगी। मात्रा भार प्+या++र = 0+2+1=3, क्या= 0+2=2 व्याकरण= 0+2+1+1+1=5

नोट:- कुछ अन्य अर्ध अक्षर भी मैं यहीं रख रहा हूँ जिसको लेकर लोग अक्सर परेशान रहते हैं। कारण इसे अलग भाग में समझाना भी है। भले ही वह शुद्धता की दृष्टि से सही हो। लेकिन गलत ही सही मैं अलग तरीका अपनाता हूँ ताकि लोग समझ सकें। मैं तीन शब्द नीचे लिख रहा हूँ

भृगु , भ्रम, भर्ती। तीनों शब्दों में हम र के मात्रा भार को लेकर भ्रमित होते हैं। तीनों के नियम अलग हैं।

 भृगु में भ्+ऋ+गु 1+1= 2 मात्रा भार है। कारण अ, इ, उ और ऋ चारों स्वर लघु मात्रिक है तथा ये व्यंजन से जुड़कर उसके मात्रा भार पर कोई फर्क नहीं डालते। इसीलिये भ का मात्रा 1 है और ऋ के जुड़ने के बाद भी 1 ही रहेगा यानि भृ भी 1 होगा। तथा गु तो 1 है ही। तो भृगु =  2 हुआ।

अब आइये भ्रम को समझे। भ्रम=भ् +र +म =0+1+1=2

इसमें भ् अर्ध अक्षर शुरू में आया, इसलिये गिनती नगण्य। बाकी रम गिना जायेगा।

भर्ती = भ+र् +ती = 2+2 =4

 कारण अर्ध अक्षर र् बीच में आया और उसने अपने बायें यानि पहले के अक्षर 'भ' को प्रभावित किया। भ लघु मात्रिक है और मात्रा भार 1 लेकिन अर्ध अक्षर 'र्' से प्रभावित होकर भ दीर्घ मात्रिक व गुरू भार वाला बन गया। अत: मात्रा भार गुरू के अनुसार 2  हो गया। 'ती' पहले से  ही गुरू है। भर्ती =2+2=4


(2) जैसा कि उपर भर्ती शब्द में आपने देखा कि अर्ध अक्षर बीच में हो तो अपने से पहले वाले यानि बायें वाले अक्षर को प्रभावित करता हैं तथा कभी अपने बाद आने वाले यानि कि दाहिने वाले अक्षर को नहीं। उसके नियम निम्नवत् हैं।

(a) अर्ध अक्षर अपने पहले आने वाले लघु मात्रिक अक्षर को दीर्घ मात्रिक कर देता है। लेकिन अगर पहले वाला अक्षर पहले से ही दीर्घ मात्रिक हो तो कोई प्रभाव नहीं डालता और स्वयं नगण्य हो जाता है। यदि अर्ध अक्षर का भार अपने से पहले वाले शब्द पर न पड़कर अपने बाद वाले शब्द पर पड़ता है तो वह कोई प्रभाव किसी अक्षर पर नहीं डालता और नगण्य हो जाता है।

जैसे:- कर्म और कार्य  में  क+र्+म =2+1=3  और का+र्+य= 2+0+ 1= 3 यहाँ अर्ध अक्षर 'र्' ने अपने पहले के लघु मात्रिक अक्षर क को दीर्घ मात्रिक कर दिया और मात्रा भार 2 हो गया जबकि कार्य में पहले से दीर्घ मात्रिक 'का' पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाया तथा स्वयं नगण्य हो गया।

अन्य उदाहरण:- शब्द=श+ब्+द= 2+1=3 अच्छा=अ+च्+छा=2+2=4, मिट्टी= मि+ट्+टी=2+2=4, उर्जा=उ+र्+जा=2+2=4 प्रार्थना= प्+रा+र्+थ+ना=0+2+0+1+2=5


(b) आइये अर्ध अक्षरों के मध्य में आने का कुछ अनुपम प्रयोग देखें, जिनमें अर्ध अक्षर अपने पहले या बायें के अक्षर पर बीच में आने पर भी उपरोक्त वर्णित नियमानुसार कोई प्रभाव नहीं डालता। और मात्रा भार गिनती में नगण्य हो जाता है। कई लोग इसे अपवाद समझते हैं जबकि सच्चाई ये है कि बोलने में इन शब्दों में अर्ध अक्षर का भार अपने से पहले यानि बायें के अक्षर पर न पड़कर अपने के बाद यानि दायें के अक्षर पर पड़ता है। और दायें के अक्षरों पर नियमत: प्रभाव माना नहीं जाता।

जैसे:- तुम्हारा, तुम्हें, उन्हें, कन्हैया, जिन्हें, जिन्होंने , कुम्हार।

तुम्हारा=तु+म्हा+रा=1+2+2=5, तुम्हें=तु+म्हें=1+2=3

उन्हें=उ+न्हें=1+2=3 

इन सभी में अर्ध अक्षरों का उच्चारण 'ह' के साथ है।


(3) अनुनासिक अक्षरों का मात्रा भार:-

नोट:- रंग, भंग, ढंग,संत, महंत, संभव, अचंभा आदि शब्दों को अलग श्रेणी में रखकर कहीं जगह मात्रा भार बताया जाता है जबकि इसकी ऐसी आवश्यकता है नहीं। दरअसल

जब हम इन शब्दों को बोलते हैं तो पाते हैं कि इन शब्दों के साथ "अं की मात्रा या अर्ध अक्षर न् या म् " जुड़ा रहता है।

तो ऐसे मे यदि अं मात्रा के कारण है तो दीर्घ मात्रिक स्वर होने के कारण जिस व्यंजन से जुड़ेगा उसे दीर्घ मात्रिक यानि गुरू भार कर देगा।और मात्रा भार 2 हो जायेगा। और यदि अर्ध अक्षर न् और म् के कारण है तो अर्ध अक्षर के प्रभाव के कारण बायें या पहले का अक्षर गुरू हो जायेगा।

अत: रंग, भंग, दंग, संत= 2+1=3 महंत= 1+2+1=4 संभव= 2+1+1= 4,अचंभा =1+2+2=5

नोट:- आधुनिक काल में कुछ लोग भंवर, संवर, छांव, दांव, कांव-कांव, ऐसे लिखने लगे हैं जिनका उच्चारण करने पर अर्ध अक्षर का स्वर स्पष्ट रूप से नहीं आता। इन्हें उस श्रेणी न मानकर साधारण तौर पर अनुनासिक शब्दों के आधार पर गणना की जानी चाहिये, जिसकी ध्वनि नाक से निकली प्रतीत होती है। 

भंवर, संवर= 1+1+1=3 छांव, कांव=2+1=3

चंद्र बिन्दी वाले शब्द अनुनासिक में आते हैं। जैसे:- बँधकर, चाँद, पाँव, सँभलकर, आदि अनुनासिक शब्दों का मात्रा भार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और इनकी गणना साधारण तरीके से की जाती है। जैसे:- बँधकर=1+1+1+1=4 गँवाकर=1+2+1+1=5


     //-------- इति मात्रा-भार --------//

     


----------#सभी आठ की #गणों की पहचान---------


एक शब्द है "#यमाताराजभानसलगा"_ इसे याद करना पड़ेगा। क्योंकि इसी में आठ गण के नाम और उनके पहचान करने का ढंग छिपा है।


#यगण_ :- सबसे पहले उपरोक्त शब्द का तीन अक्षर लें। तो शब्द होगा "#यमाता" यानि य से यगण पहला गण हुआ। यगण की पहचान "यमाता" पहला अक्षर ह्रस्व स्वर यानि लघु ,दूसरा दीर्घ स्वर यानि गुरु और तीसरा दीर्घस्वर यानि गुरु। यगण गण यानि यमाता 1+2+2 =5 जैसे:- नहाना, दिखाती बचाती, जमाना, सजाना, सलोनी, लड़ाकू, बिताना आदि सभी यगण हैं।


#मगण_:-अब उपरोक्त शब्द "यमाताराजभानसलगा" मे पहला अक्षर 'य' छोड़कर छोड़कर तीन अक्षर लें तो शब्द हुआ "#मातारा" यानि 'म' से मगण दूसरा गण हुआ और पहचान "मातारा" यानि तीनों अक्षर दीर्घ मात्रिक यानि गुरु हुये। मगण गण यानि मातारा- 2+2+2=6 जैसे:- आवारा, याराना, दीवाना, दीवानी, दोबारा, बंजारा, अंगारा,रीझाना, आदि।


#तगण_:-अब उपरोक्त शब्द से दो अक्षर छोड़े

तो शब्द होगा #"ताराज" यानि 'त' से तगण तीसरा गण हुआ। पहचान "ताराज" यानि प्रथम अक्षर गुरु, द्वितीय गुरु और तृतीय अक्षर लघु। तगण गण यानि ताराज- 2+2+1=5 जैसे:- नादान, सामान, श्रृंगार, चालाक, आकाश आदि। 


#रगण_:-"यमाताराजभानसलगा" में तीन अक्षरों को छोड़े तो आयेगा "#राजभा" 'रा' यानि 'र' से रगण चौथा गण हुआ। पहचान के लिए "राजभा" यानि गुरु-लघु-गुरु। रगण गण यानि राजभा- 2+1+2 =5 जैसे:- बालिका, राधिका, नाचना, भागना, रूकना, रूठना, कूदना, बीतना, भीगना आदि।


#भगण_:- अब " यमाताराजभानसलगा" पाँच अक्षर छोड़े तो शब्द बनेगा "#भानस" यानि 'भ' से भगण छठाँ गण हुआ और पहचान "भानस" गुरु-लघु-लघु। भगण गण यानि भानस- 2+1+1=4 जैसे:- बालक, नाहक, घातक, पीतल, घूँघट, राहत, सोहन, मोहन, मौलिक, भौतिक आदि


#नगण_:-अब छ: अक्षर छोड़ें तो शब्द बनेगा "#नसल" यानि 'न' से नगण सातवाँ गण हुआ और पहचान "नसल" यानि तीनों लघु भार । नगण गण यानि नसल- 1+1+1=3 जैसे:- महक, कमल, चलन, जलन,पलक, उतर, इतर, अमल आदि,


#सगण_:- अब सात अक्षर छोड़े तो शब्द बनेगा "#सलगा" यानि 'स' से सगण हुआ आठवाँ गण और पहचान लघु-लघु-गुरु।सगण यानि सलगा- 1+1+2=4 जैसे:- कमरा, बकरा, झगड़ा, लड़का , लड़की, गलती, चलती, झुकना, गणना, दरजी, पकड़ूँ , बदलो

अब इसे मापनी में ऐसे लिखा जायेगा। 1 मतलब लघु मात्रिक व 2 मतलब दीर्घ मात्रिक।

यगण:-  122 ,मगण:- 222, तगण:- 221,

रगण:- 212,  जगण:- 121, भगण:-211,

नगण :-111, सगण:- 112

पुरुषोत्तम फौजदार 'दादा' आगरा।

9412341733

Friday, May 28, 2021

गीत गाँव आता याद

 #गीत #अवधेश_के_गीत #अवधेश_की_कविता 


#गाँव_आता_याद_मुझको_जब_हुई_तन्हाई_है 


गाँव आता याद मुझको जब हुई तन्हाई है ।

शाम है जब ये सुहानी, श्याम बदली छाई है ।


आज फिर यादें पुरानी, अब मुझे भी आ रहीं ।

गाँव का घर और गलियाँ, मन पटल पर छा रहीं ।


खेत की मिट्टी बहुत खुश, अब हवा पुरवाई है ।

गाँव आता याद .....


ताल के वो घाट कहते, फिर नहाने आइए ।

पेड़ पर चढ़कर मुरलिया, फिर सुनाकर जाइए ।


नीम पीपल जाम जामुन, वृक्ष हैं अमराई है ।

गाँव आता याद ......


द्वार पे माँ संग बैठें,पास की सब चाचियां ।

बात बहुओं की चले तो, बोलतीं सब दादियां ।


गाँव की चौपाल पर ही, हो रही सुनवाई है ।

गाँव आता याद ......


लिप रहे आँगन सभी के, पुत रहीं दीवार हैं ।

हाट में है भीड़ कितनी, सज रहे बाजार हैं ।


दीपमालाएं जलीं हैं, फिर दिवाली आई है ।


गाँव आता याद ....


बज रहे घुँघरू छनक छन, थाप ढोलक पर पड़ी ।

नृत्य में तल्लीन भाभी, फिर बहन दर पे खड़ी ।


आ गई बारात कोई, बज रही शहनाई है ।


गाँव आता याद ....


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 23022021

शिवपुरी मध्य प्रदेश

कविता हो गई बेटी पराई

गीत

 #अवधेश_की_कविता #इन_दिनों_जो_हो_रहा_है 


इन दिनों जो हो रहा है, वो नहीं पहले हुआ है ।

बद्दुआएँ फल रही हैं, बेअसर लगती  दुआ है ।

आदमी ही आदमी से, आज कितना डर रहे हैं ।

साँस के व्यापार  वाले, पाप से घर भर रहे हैं ।


काम धंधे छिन गए सब, भीख में रोटी मिली है ।

पापियों के कारनामे, देखकर दुनिया हिली है ।

बस दवा उपचार में ही, बिक गया  घर खेत सोना ।

बच गए गंगा नहाई, अब चलो नव बीज बोना ।


गाँव से आये शहर में, जान अपनी जो बचाने ।

अस्पतालों में पलंग भी, हैं नहीं उनको लिटाने ।

भाग्य से उपचार अच्छा, मिल गया तो बच गए वो ।

देर से पहुँचे यहाँ जो, कुछ नया ही रच गए वो ।


वृद्ध बच्चो नौजवानो, सब रखो अब सावधानी ।

बस यहाँ वो ही बचेगा, बात जिसने जान मानी ।

दूर दो गज पर रहे जो , मास्क पहने हाथ धोए  ।

भीड़ से जो दूर रहता, चैन की वो नींद सोए ।


माँ बहन भाई पिता जी,  पत्नि या पति संक्रमित हों ।

परिजनों को हो मुसीबत, संक्रमित पर वो कुपित हों ।

नोंचते मृत देह को भी, गिद्ध बनकर आदमी ही ।

बच रहा अंतिम क्रिया से, पाप सनकर आदमी ही ।


आपदा अवसर बनाते, कर रहे व्यापार काला ।

राजनेता लोक सेवक, खोलते खुद बंद ताला ।

माफिया हर क्षेत्र के ही, आय दुगनी कर रहे हैं ।

लुट गया हर नागरिक पर, वो तिजोरी भर रहे हैं ।


रोग से लड़ता वही तन,  बढ़ रही हो शक्ति जिसकी ।

ये महामारी मिटेगी, जब लगे वैक्सीन इसकी ।

देश है मुश्किल घड़ी में, देशवासी डर रहे हैं ।

इस समय 'अवधेश' भी तो, कष्ट सबके हर रहे हैं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 26052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल अंधेरी स्याह रातों में

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


अँधेरी स्याह रातों में, तड़ित जब कौंध जाती है ।

जिसे हम भूलना चाहें, उसी की याद आती है ।


गुजारी जो घड़ी मिलकर, धरोहर अब हमारी वो,

हमारी साँस को नियमित, घड़ी वो ही चलाती है ।


उसे मालूम है जो हैं, हमारी खूबियाँ सारी, 

लिखें जो गीत उस पर हम, उन्हें वो गुनगुनाती है ।


अगर हम पर पड़ी मुश्किल, तभी थोड़ी ज़रूरत ही,

दिखा कर सच ज़माने का, हक़ीक़त से मिलाती है ।


हँसी जिसकी बड़ी दौलत, बिके हर बाप जिस खातिर,

विदा के वक्त बाबुल को, वही बेटी रुलाती है ।


थमा आकाश आशा से, कभी उम्मीद मत छोड़ो, 

सुनी थी बात बचपन में, बड़ी आशा जगाती है ।


किया 'अवधेश' ने रोशन, जला कर कुछ दिए घी के,

किसी की झोपड़ी देखो, महल सी जगमगाती है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 27052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल बात मन में दबी

रूपमाला छँद

ग़ज़ल कभी अपनो से

ग़ज़ल वतन में हमारे

ग़ज़ल हम चाँद

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


हम चाँद में तेरा ही तो दीदार करेंगे ।

महफ़िल में सितारों की तुझे प्यार करेंगे ।


चलना है हमें साथ उन्हीं के इस सफ़र में,

 कदमों की जरा तेज हम रफ़्तार करेंगे ।


मिलने के लिए उनसे तलब ख़ूब लगी है ।

जो आग बहाती वो नदी पार करेंगे ।


किस बात पे रूठे हो ज़रा खुल के बताना,

गलती जो हमारी है वो स्वीकार करेंगे ।


दिल में ही किया होंठ पे आने न दिया पर,

हम आज उसी प्यार का इज़हार करेंगे ।


बरसात के मौसम में जो बूंदों में समाया,

सावन में उसी प्यार की बौछार करेंगे ।


जिसने भी हमें खींच के अंदर है बिठाया,

उस दिल की ज़मीं पर भी तो अधिकार करेंगे ।


मुश्किल है तो क्या ग़म है नहीं दूर है मंज़िल,

आसान मेरी राह मेरे यार करेंगे ।


चालाक चतुर लोग चलेंगे जो हराने, 

'अवधेश' उसी चाल को बेकार करेंगे ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 20052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल गुल

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


गुल गुलाबी फिर खिलेंगे देखना ।

बागबाँ फिर से हँसेंगे देखना ।


बंद हैं सब रास्ते ही आजकल,

हम सड़क पर फिर चलेंगे देखना ।


छुप गए डर कर अभी जाने कहाँ,

वो परिंदे फिर उड़ेंगे देखना ।


जो बढ़े ही जा रहे हैं आँकड़े,

शून्य आने तक घटेंगे देखना ।


रुक गए हम आज लिखकर शेर कुछ,

कल ग़ज़ल पूरी  लिखेंगे देखना ।


दूर रहकर सब्र रखना आजकल,

हम गले फिर से मिलेंगे देखना ।


आपकी ख़ातिर सदा 'अवधेश' ही,

हर सितम हँस कर सहेंगे देखना ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 19052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल एक आवाज पर

ग़ज़ल गीत गम के

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


गीत ग़म के गुनगुनाने दीजिए ।

दर्द सारे आज़माने दीजिए ।


रोक लेंगे दूर जाने से उन्हें,

प्यार से हमको मनाने दीजिए ।


बाद मुद्दत के दिखा चेहरा खिला,

खुल के उनको मुस्कुराने दीजिए ।


ये व्यवस्था मुश्किलों से बन सकी,

अब इसे मत चरमराने दीजिए ।


भूख मिटती ही नहीं इनकी कभी,

एक टुकड़ा और खाने दीजिए ।


माफ़ करना गलतियाँ मेरी सभी ।

हो गई जो बात जाने दीजिए ।


खोल देंगे राज सारे आपके,

शर्म का पर्दा हटाने दीजिए ।


पाप ही बस पाप ये करते रहे,

पुण्य इनको भी कमाने दीजिए ।


देखना 'अवधेश' की ताक़त यहाँ,

बस जरा अपनी पे आने दीजिए ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 17052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

कुंडलियाँ

 अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की शुभकामनाएं ।


#कुंडलिया #कुंडलियाँ #अवधेश_की_कुंडलियाँ 


माता और पिता कहें, सुन लो बच्चो आज ।

हम सब हिल मिल कर रहें, पूरे हों सब काज ।

पूरे हों सब काज, खुशी से घर भर जाता ।

प्रेम शांति का राज, शत्रु हमसे भय खाता ।

कहते कवि 'अवधेश', यहॉं जो प्यार लुटाता ।

सर्वोत्तम परिवार, संगठित रखती  माता ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 15052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

कुंडलियाँ

 #कुंडलियाँ #अवधेश_की_कुंडलियाँ


1

लाचारी लाचार की, समझे जो इंसान ।

ईश्वर के दरवार में, मिलता उसको मान ।

मिलता उसको मान, मदद जो सबकी करता ।

करता खुलकर दान, पुण्य का घट वो भरता ।

कहते कवि ' अवधेश ', बड़ी है ये बीमारी ।

थामो बढ़कर हाथ, अगर दिखती  लाचारी ।


2

आती जिन्हें दया नहीं, करते अत्याचार ।

सहते उनकी ताड़ना, होते जो लाचार ।

होते जो लाचार, करें क्या समझ न पाते ।

हो जाते बीमार, दुखों को गले लगाते ।

कहते कवि 'अवधेश', बुद्धि जिनकी मर जाती ।

मिलता उनको दण्ड, समझ तब उनको आती ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 14052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल बाग में बहती हवाओं में

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


बाग में बहती हवाओं में लिखा है ।

नाम उसका ही बहारों में लिखा है ।


एक दूजे के लिए वो मर मिटे थे,

प्यार का किस्सा किताबों में लिखा है ।


साथ रहते जो रहे थे अब उन्होंने,

नाम दूजे का रक़ीबों में लिखा है ।


एक गुस्ताख़ी हमारी जो हुई थी,

चाहना उनको गुनाहों में लिखा है ।


साल पहले जो कमाते खूब पैसा,

नाम अब उनका गरीबों में लिखा है ।


शर्त तो सारी निभानी ही पड़ेंगी,

तुम पढ़ो क्या इन क़रारों  में लिखा है ।


अब सुनो 'अवधेश' से मक़ता ग़ज़ब का,

खून से दिल के जो ग़ज़लों में लिखा है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 14052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल आजकल वो डरे डरे

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


आजकल वो डरे-डरे क्यूँ हैं ।

जंग को छोड़ भागते क्यूँ हैं ।


काम या भीख भी नहीं मिलती,

मुफ़लिसी की गली पले क्यूँ हैं ।


दूर पल भर नहीं रहे थे कभी,

बीच में आज फ़ासले क्यूँ हैं ।


आँधियाँ तो बदल चुकीं रस्ता,

रात काली दिए बुझे क्यूँ हैं ।


दिल पिघलता नहीं कभी उसका,

ज़ुल्म तुमने मगर सहे क्यूँ हैं ।


हाकिमों ने मुसीबतें लादीं,

हम मगर बोझ से दबे क्यूँ हैं ।


बात 'अवधेश' की नहीं सुनते,

वो न जाने पढ़े लिखे क्यूँ हैं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 13052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल देखकर ढहती व्यवस्था

 #गीत #अवधेश_की_कविता #अवधेश_के_गीत 


देख कर ढहती व्यवस्था , देश वासी रो रहे ।

साँस तक मिलती नहीं है, ख़ास अपने खो रहे ।


रैलियाँ करके चुनावी, संक्रमण फैला दिया ।

भीड़ लाखों की जुटाई, कुंभ भी मैला किया ।

मौत घर-घर बाँट कर वो,  चैन से अब सो रहे ।

देख कर ढहती व्यवस्था , देश वासी रो रहे ।


आज तक तुमने किया क्या, देश का सौदा किया ।

देश की संपत्ति बेची, लाभ मित्रों को दिया ।

जो तुम्हें सत्ता दिलाते, काम उनके हो रहे ।

देख कर ढहती व्यवस्था , देश वासी रो रहे ।


भेजता हर शख़्स लानत, शर्म आनी चाहिए ।

ये महामारी यहाँ से, भाग जानी चाहिए ।

बद्दुआएँ मिल रहीं, क्यों, पाप सिर पर ढो रहे ।

देख कर ढहती व्यवस्था , देश वासी रो रहे ।


अस्पतालों में नहीं क्यों, कारगर उपचार है ।

दंभ कितना भी दिखाओ, पर तुम्हारी हार है,

नाम है बदनाम उनका, ज़ुल्म ढाते जो रहे ।

देख कर ढहती व्यवस्था , देश वासी रो रहे ।


मान लो कहना हमारा, देश की चिंता करो ।

आग नफ़रत की बुझा कर, प्रेम से झोली भरो ।

जो प्रजा के कष्ट हरता, राज कायम वो रहे ।

देख कर ढहती व्यवस्था , देश वासी रो रहे ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 05052021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल फैसले सख्त

ग़ज़ल हो रही मुश्किलों

ग़ज़ल मीलों उड़ कर

ग़ज़ल मिला सब कुछ हमें

प्रियामृतावधेश

 #प्रियामृतावधेश 


डर 

कारण

बड़ा हार का

सांस की जंग में

मौत के व्यापार का

लोगों पर वक्त नहीं है 

आपसी रिश्तों  मे प्यार का 

जिंदगी  हुई बहुत सस्ती यहाँ ।

प्राणवायु जब  हुई महँगी यहाँ ।

सावधानी  रखना जरूरी 

जैसे  दो गज  की   दूरी

मास्क मुँह नाक ढँकना

हाथ साफ रखना 

मन रहे निडर 

कष्ट मिटे 

पल में

हर


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 30042021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल जो हजारों सवाल

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


जो हजारों सवाल रखते हैं ।

ज़िंदगी वो मुहाल रखते हैं ।


आबुदाना दिखा परिंदों को,

वो फँसाने को ज़ाल रखते हैं ।


मतलबी हैं पड़ी ज़रूरत तो,

आज कुछ ख़ास ख़्याल रखते हैं ।


हर गलत काम की खिलाफ़त को,

खून में हम उबाल  रखते हैं ।


मंज़िलों के करीब जाना है,

वो मगर सुस्त चाल रखते हैं ।


पास थे पर मिले नहीं उनसे,

हम ये दिल में मलाल रखते हैं ।


आप 'अवधेश' की सुनो ग़ज़लें,

हम कलेजा निकाल रखते हैं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 28042021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल शोख़ चंचल

ग़ज़ल चमकता हमारा

ग़ज़ल हमें दर्द दे

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


हमें दर्द दे जो वो दीगर नहीं ।

वजह दुख की अंदर है बाहर नहीं ।


उसे ढूंढ़ने में खपी ज़िंदगी,

मिला वो हमें पर कहीं पर नहीं ।


ख़ुदा के अलावा मिले दूसरा,

झुकेगा कभी भी मेरा सर नहीं ।


बड़ी चाह देखें उसे रोज हम,

मगर पास उसके मिला घर नहीं ।


डराने की कोशिश सभी कर रहे,

हमें पर किसी से ज़रा डर नहीं ।


नदी चाहती क्या सभी को पता,

मगर जानता ये समंदर नहीं ।


ग़ज़ल खूब 'अवधेश' कहने लगे,

हुआ शेर कोई भी कमतर नहीं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 14042021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

कुंडलियाँ

प्रियामृतावधेश

 #प्रियामृतावधेश 


कल

क्या हो

जीवन में

इस चिंता में

आज खराब किया

आनंद प्रभु  रूप है

निशुल्क ही तो गँवा दिया 

व्यर्थ भरी बातों में क्या है 

भविष्य की चिंताओं को छोड़ो ।

वर्तमान से नाता तुम जोड़ो ।

मन में परमानंद बसे हैं 

देखो अपना मन मंदिर

प्रेम सुधा रस अंदर 

सुख भरा भण्डार 

खुशियाँ अपार

जिया करो 

हर इक

पल


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 09042021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

निमंत्रण

 खिलेंगी बाग में कलियाँ, महकती हर गली होगी ।

सितारे जगमगाएंगे, निशा भी हो रही होगी ।


जुलाई सात सन इक्कीस होगी पुष्प की वर्षा,

बने दूल्हा  खड़े 'अभिनव', 'प्रज्ञा: नववधु बनी होगी ।


प्रतीक्षारत रहेंगे हम, सजेगा प्रीत का भोजन,

मिलेंगे एक दूजे से बहुत सबको खुशी  होगी ।


निमंत्रण भूल मत जाना, जरूरी आपका आना,

मिले आशीष जो सबका, बड़ी ये शुभ घड़ी होगी ।

ग़ज़ल अगर मौसिक़ी से

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


अगर मौसिक़ी से मुहब्बत न होती ।

ग़ज़ल गुनगुनाने की चाहत न होती ।


सुरों को मिलाते सुबह शाम कैसे,

खुदा की जो हम पर इनायत न होती ।


जो बन  हमसफ़र तुम अगर साथ चलते,

हमें ज़िंदगी से शिकायत न होती ।


ये इंसाफ़ हमको न मिलता कहीं पर,

जो ऊँची ख़ुदा की अदालत न होती ।


अगर हम भी रहते ज़रा से अकड़ के,

किसी की झगड़ने की हिम्मत न होती ।


बिछड़ कर न जाते अगर दूर वो तो,

नशे की हमारी ये आदत न होती ।


जो 'अवधेश' को तुम समझते सही से,

तुम्हारे भी दिल में ये नफ़रत न होती ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 05042021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल गीत मेरे पढ़ोगे

 

ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
ग़ज़ल गीत मेरे पढ़ोगे कहाँ ।
बिना खुद छपाये ये छपते  कहाँ ।

कभी टाँग खींचें कभी जान दें,
हमें दोस्त ऐसे मिलेंगे कहाँ ।

पता ही नहीं जब सही रास्ता,
चले जा रहे हो भटकते कहाँ ।

कभी चाय पीते रहे साथ में,
मगर वो हमें अब बुलाते कहाँ ।

फ़सल सूखती पर बरसते नहीं,
ये बादल ज़रूरत पे आते कहाँ ।

अभी तो ये सूरज भी निकला नहीं,
चले तुम सवेरे सवेरे कहाँ ।

जो 'अवधेश' कहते सुनो ध्यान से,
दिलों से निकल कर रहोगे कहाँ

क़त आ

 کتا 


تررانم میں کبھی میری گزل مجھکو سنانا تم 

اکیلے میں کبھی مجھکو غدی غدی بھر کو بانا تم 

کبھی جب یادہے اے یا کبھی آنکھوں میں پانی hہو 

بیٹھا کر سامنے مجھکو   ذرا سا مسکرانا تم . 

آودھیش کمر سکسینہ 

شوپوری مدھی پردیش 


कत आ

तरन्नुम में कभी मेरी ग़ज़ल मुझको सुनाना तुम ।

अकेले में कभी मुझको घड़ी भर को बुलाना तुम ।

कभी जब याद आये या कभी आँखों में पानी हो ।

बिठा कर सामने मुझको  ज़रा सा मुस्कुराना तुम ।

अवधेश कुमार सक्सेना

शिवपुरी मध्य प्रदेश

ग़ज़ल हमें देख वो मुस्कुराने

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


हमें देख वो मुस्कुराने लगे हैं ।

जमीं वर्फ़ शायद हटाने लगे हैं ।


सताते बहुत थे कभी हम उन्हें पर,

वो कड़वी सी यादें भुलाने लगे हैं ।


हमें जो कभी कुछ समझते नहीं थे,

हमारी ग़ज़ल गुनगुनाने लगे हैं ।


सभी हसरतें रह गईं फिर अधूरी,

वो आए मिले और जाने लगे हैं ।


कभी पास आकर जो पुचकारते थे,

वही दूर जाकर सताने लगे हैं ।


ये मासूम बच्चे जो गोदी में आए,

हमें खिलखिलाकर हँसाने लगे हैं ।


जिन्हें खुश रखा था सभी कुछ गँवा कर,

वो बच्चे ही हमको रुलाने लगे हैं ।


उन्हें क्या पता हम कहाँ तक गए थे,

हमें चाँद छूने जमाने लगे हैं ।


यहाँ रूठकर जो बिना बात बैठे,

ये 'अवधेश' उनको मनाने लगे हैं । 


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 010421

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल हमने धोखे हजार खाए हैं

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल


हमने धोखे हज़ार खाये हैं ।

तब कहीं सच को जान पाये हैं ।


शाम होने लगी चलो वापिस, 

तुम से लंबे तुम्हारे साये हैं ।


क्या करें कुछ समझ नहीं आता,

आज मिलने हमें वो आये हैं ।


रोशनी की नदी बहाने को,

दीप हमने यहाँ जलाये हैं ।


जो मिले आपसे उन्हीं ग़म का,

पीठ पर बोझ हम उठाये हैं ।


दोस्ती के लिए हमेशा ही,

हाथ हमने यहाँ बढ़ाये हैं ।


बन के आका हमें सताने को,

हुक़्म हम पर बहुत चलाये हैं ।


रोजियाँ रोटियाँ सदा बाँटी,

पुण्य हमने यही कमाये हैं ।


इल्म अवधेश ने भरा जिनमें, 

सब ख़ज़ाने यहीं लुटाये हैं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 31032021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश 


ग़ज़ल आप जैसा दूसरा

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


आप जैसा दूसरा देखा नहीं ।

आज तक ऐसा नशा छाया नहीं ।


मुश्किलें हों सामने आकर खड़ीं ।

ग़म भरे गाने हमें गाना नहीं ।


शाम कैसे हम करें रंगीन अब,

इस शहर में यार मैखाना नहीं ।


दिल में जो है दिल के अंदर क्यों रहे,

प्यार क्यों बाहर कभी आता नहीं ।


सच की ताकत और दौलत है बड़ी,

झूठ बिन लाठी के चल पाता नहीं ।


आइने में देख खुद से पूछना,

क्यों कभी इसकी तरह बोला नहीं ।


हो इनायत रब की जो 'अवधेश' पर,

हो कभी फिर  बाल भी बाँका नहीं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना -31032021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

क़त आ

 #कत' आ #अवधेश_के_कता


1

शब ए बराअत आई मग़फ़िरत की हम दुआ करें।

चलो करें उजाले कब्र पर घर भी सफ़ा करें । 

चलो किसी ज़रूरतमंद को भी कुछ अता करें ।

निज़ात भी मिलेगी इस जहन्नुम से सदा करें ।


दुआ करें इबादत में खुदा की जब क़ज़ा करें ।

मिले हमें बरक्कत गर नमाज़ें हम अदा करें ।

हिसाब तो बदी का और नेकी का खुदा करें ।

खुदा करें फ़रिश्ते साथ में सबके चला करें ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 29032021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

कुंडलियाँ

ग़ज़ल प्यार करते हैं बहुत

ग़ज़ल तू गलत काम से

ग़ज़ल हमारा दिल जिसे

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


हमारा दिल जिसे भूला नहीं है ।

उसी का ख़्याल भी जाता नहीं है ।


रखे दिल में छुपा कर प्यार कितना,

जुवां पर वो कभी लाता  नहीं है ।


ज़रा बच कर चलो संकरी गली में,

यहाँ माहौल कुछ अच्छा नहीं है ।


अगर टूटे कभी कोई  खिलौना,

कभी तुमको मगर रोना नहीं है ।


पिए थे जाम आँखों से किसी की ,

नशा वो आज  तक उतरा नहीं है ।


तमन्ना है अगर दिल में तेरे कुछ,

उसे तू क्यों कभी कहता नहीं है ।


दिलों को जीतना 'अवधेश' का फ़न,

कमाना और कुछ आता नहीं है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 26032021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल हमारे बीच अब पर्दा

 


#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल


हमारे बीच अब पर्दा नहीं है ।

तुम्हारा दिल मगर दिखता नहीं है ।


करे मदहोश महफ़िल में हमें जो,

वो पैमाना अभी छलका नहीं है ।


मुहब्बत हो गई है ज़िंदगी से,

किसी से अब  गिला शिकवा नहीं है ।


बहुत ही  दूर मंज़िल है हमारी,

जहाँ का रास्ता सीधा नहीं है ।


खुले में क़त्ल वो करता यहाँ पर,

पता सबको मगर चर्चा नहीं है ।


भरा अंदर ख़िलाफ़त का जो ज्वाला,

धधकता खूब है बहता नहीं है ।


दिखाओ लाल आँखें या कटारी,

मगर 'अवधेश' तो डरता नहीं है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 25032021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश


ग़ज़ल उन्हें हम से

गीतिका छँद धन्य भारत भूमि

 #गीतिका छंद में एक #गीत


धन्य भारत भूमि जिस की आज ऊँची शान है ।

जिसने आज़ादी दिलाई, वो अमर बलिदान है ।


राजगुरु सुखदेव भी तो, थे भगत के साथ में,

चल रहे थे इंक़लाबी, हाथ थामे हाथ में ।

रंग चोले का बसंती, हो यही अरमान है ।

धन्य भारत भूमि जिस की आज ऊँची शान है ।


पुण्य दिन तेइसवां था मार्च सन इकतीस का ।

उम्र थी बाईस की या, कोई था तेईस का ।

जिस जगह फाँसी हुई थी, तीर्थ वो स्थान है ।

धन्य भारत भूमि जिस की आज ऊँची शान है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 23032021 ( शहीदी दिवस)

शिवपुरी मध्य प्रदेश

ग़ज़ल पास के चमन में

गीतिका छँद

 #गीतिका_छंद में एक #गीत 

 

आज कविता एक लिख कर,भाव मन के खोल दूँ ।

खुल न पाए होंठ डर से, बात लिख कर बोल दूँ ।


शब्द भावों से महकती, रस भरी माला बने ।

तूलिका कागज रंगे तो, मेघ भी छाते घने ।

अब हृदय में प्रेयसी के, मैं मधुर रस घोल दूँ ।


शारदे माँ की कृपा से, छंद सुंदर रच रहे ।

पढ़ रहे जो गीत मेरे, खूब उनको जच रहे ।

होंठ पर मुस्कान हो तो, गीत अपने तोल दूँ ।


राष्ट्र संकट में घिरे तो, जोश वीरों में भरूँ ।

ओज नस- नस में बहे, धर्म मेरा  मैं करूँ ।

रक्त को स्याही बनाकर, प्राण का मैं मोल दूँ ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 21032021 ( कविता दिवस )

शिवपुरी मध्य प्रदेश

ग़ज़ल गर्म मौसम हुआ

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


गर्म मौसम हुआ तो हवा कीजिए ।

फ़र्ज़ बनता अगर तो अदा कीजिए ।


चोट दिल पर लगे प्यार करते रहो,

दर्द हो भी अगर तो सहा कीजिए ।


माँगने गर कोई दर पे आए कभी,

पास में कुछ अगर तो अता कीजिए ।


झूठ पर झूठ ही बोल थकते नहीं,

बात सच्ची कभी तो कहा कीजिए ।


जोड़ लोगे बदी तो मिलेगी बदी,

 नेकियाँ भी कभी तो जमा कीजिए ।


बेवफ़ा ही यहाँ सब मिलेंगे तुम्हें,

पर रहो बावफ़ा बस वफ़ा कीजिए ।


नाम 'अवधेश' का काम करके हुआ,

उनके नक़्शे क़दम पर चला कीजिए ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-21032021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल जिसे हम भूलना चाहें

ग़ज़ल पतंग मन की

ग़ज़ल काम बिगड़े तो शराफ़त छोड़ दो

प्रियामृतावधेश मन

 #प्रियामृतावधेश

मन

चंचल

कहता है

देखूँ उसको

नैन उठते नहीं

कह दूँ उससे सब कुछ

होंठ पर  खुलते  ही   नहीं 

छू   लूँ  पर  हाथ  उठते  नहीं 

जमाने  का   डर    रोक देता है ।

कभी खुद  मन ही टोक देता है ।

कशमकश  में हूँ मैं क्या करूँ 

साहस करूँ मन की करूँ

छुआ तो हुई सिहरन

कँपकँपाते  होंठ

बोल गए सब

मिली नजर 

झंकृत

तन


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 19032021

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल आपको देखे जमाना हुआ

क़त आ

ग़ज़ल हम समंदर हैं

ग़ज़ल प्यार का भंडार तू

ग़ज़ल सही रास्तों पर चला कीजिए

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


सही रास्तों पर चला कीजिए ।

मुहब्बत सभी से किया कीजिए ।


वतन के लिए जब ज़रूरत पड़े,

ज़रा फ़र्ज़ अपना अदा कीजिए ।


ख़ुदा की इनायत बरसने लगे,

हमारे लिए भी दुआ कीजिए ।


तरक्की बड़ी आपको भी मिले,

किसी से कभी मत जला कीजिए ।


कभी रास्ते में मिलें हम कहीं,

ज़रा मुस्कुरा के  मिला कीजिए 


चमक हैसियत की बढ़ानी अगर,

खिली  धूप में भी तपा कीजिए ।


लगे चोट 'अवधेश' को तो लगे,

छुपा दर्द दिल का हँसा कीजिए ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 14032021

शिवपुरी, मध्यप्रदेश

ग़ज़ल हमें मालूम गर होता

ग़ज़ल चाँद टुकड़ा हम देखकर

त्रिभंगी छँद भोले गंगाधर

कुंडलियाँ

ग़ज़ल हर जगह हर सू

हाइकु

 #हाइकु #haiku #अवधेश_के_हाइकु


सजी दुल्हन

हाथों में वरमाला

वर तैयार


दूल्हा दुल्हन

जय माला गले में 

पुष्पों की वर्षा 


बेटी के हाथ 

हल्दी से पीले किए

माँ बाप खुश 


बेटी का हाथ

वर हाथों में सौंपा

जीवन धन्य


आँख में आँसू

बेटी हुई पराई

शुभ विदाई 


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 16022021

शिवपुरी मध्य प्रदेश

ग़ज़ल चैन होगा जिधर

ग़ज़ल अगर गलती हुई मुझसे

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 


अगर गलती हुई मुझसे जो चाहो वो सजा देना ।

मगर पहले ज़रा मुझको मेरी गलती बता देना ।


किसी निर्दोष को यूँ ही सताना ठीक लगता क्या,

बिना गलती किसी को यूँ बुरी बातें सुना देना ।


मुझे मतलब नहीं तुमसे तुम्हें भी अब कहाँ मतलब,

जुदा राहें हमारी हैं अलग दुनिया बसा देना  ।


ग़लतफ़हमी अगर है कुछ ज़रा सी बात तो कर लो,

हमारा पक्ष सुन कर तुम गिले शिक़वे मिटा देना ।


गलत कुछ कर नहीं सकते तुम्हारी शान में हम तो, 

हुई गर भूल हमसे तो उसे अब तो भुला देना ।


दुखी क्यों कर रहे हमको बिगाड़ा क्या तुम्हारा है,

नहीं है ठीक ये बिल्कुल किसी को यूँ रुला देना ।


अगर 'अवधेश' के कारण भड़कती आग नफ़रत की,

छिड़क कर प्यार का पानी उसे अब तुम बुझा देना ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 11012021

शिवपुरी मध्य प्रदेश

नव वर्ष की शुभकामना

ग़ज़ल नफरत की लगी आग

ग़ज़ल कर लिया जो ज़िंदगी में

तमाल छँद दिल में रहते सीताराम

ग़ज़ल याद आँसू गिराती रही रात भर

ग़ज़ल बात में दम अगर नहीं होता

 #ग़ज़ल  #अवधेश_की_ग़ज़ल 


बात में दम अगर नहीं होता ।

बात का कुछ असर नहीं होता ।


ज़िंदगी भर तलाश करते हम,

प्यार उनसे अगर नहीं होता ।


आपका साथ जो नहीं मिलता, 

तो सुहाना सफ़र नहीं होता ।


एक उम्मीद है मिले ठंडक,

रुख हवा का इधर नहीं होता ।


इश्क़ होता नहीं बराबर क्यों,

जो इधर है उधर नहीं होता ।


ख़्वाब से ख़्याल से कभी भी वो, 

दूर रश्क- ए-क़मर नहीं होता ।


चोट 'अवधेश' को लगी गहरी

दर्द बिल्कुल मगर नहीं होता ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 19122020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

* रश्क-ए-क़मर =

अति खूबसूरत जिसे देखकर चाँद को ईर्ष्या हो ।

ग़ज़ल सपने हम साकार करेंगे

 #अवधेश_की_ग़ज़ल #ग़ज़ल 


सपने हम साकार करेंगे ।

बागों को गुलज़ार करेंगे ।


सालों से बेकार पड़े थे,

पैने अब औज़ार करेंगे ।


तुम नफ़रत के तीर चलाना,

हम तो फ़िर भी प्यार करेंगे ।


सब कुछ ही जो लूट चुके अब,

खेती का व्यापार करेंगे ।


झाँकेंगे जब वो खिड़की से,

अपलक हम दीदार करेंगे ।


जिस पर सब कुछ वार दिया था,

उससे ही तकरार करेंगे ।


रिश्वत या उपहार गलत जो,

लेने से इंकार करेंगे ।


साज़िश हों गर देश विरोधी,

खुल कर हम इज़हार करेंगे ।


कर देंगे ' अवधेश' वो' पूरा, 

गर कोई इक़रार करेंगे ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-17122020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

ग़ज़ल कभी तो रुख हवाओं का

ग़ज़ल मैं भी हूँ भारत का हिन्दू

ग़ज़ल उजड़ा चमन हमको मिला

प्रियामृतावधेश

कुंडलियाँ

 #कुंडलियां #अवधेश_की_कुंडलियां


सुन लो भारत वासियो, लुटे गरीब किसान ।

मोटी चाँदी काटते, गिने चुने धनवान ।

गिने चुने धनवान, बने अब भाग्य विधाता ।

सत्ता इनके साथ, इन्हें सब कुछ मिल जाता ।

कहते कवि अवधेश, सही रस्ते  तुम चुन लो ।

क्या कह रहा  गरीब, ज़रा उसकी भी सुन लो ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 05122020

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल लगी है इश्क बीमारी

हाइकु

कुंडलियाँ

ग़ज़ल मौसम हुआ सुहाना

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 

#मौसम_हुआ_सुहाना 


बादल घिरे गगन में, मौसम हुआ सुहाना ।

फ़िर से उभर रहा है, जो दर्द है पुराना ।


आँसू नहीं बचे हैं, पलकें नहीं झपकतीं,

ज़ख्मेजिगर दिखा कर,अब और मत रुलाना ।


ये फ़ासले मिटेंगे,जब आप सोच लेंगे,

महसूस हो जरूरत, नज़दीक फ़िर बुलाना ।


गर साथ छूट जाए, मिलना नहीं अगर हो, 

जाना भले कहीं भी, हमको नहीं भुलाना ।


झूले पड़े दिखे जो, वो भी उदास दिखते, 

अब याद आ रहा है, झूला उन्हें झुलाना ।


बातें लगें बुरी या, गलती दिखे हमारी,

गुस्सा भले दिखाना,पर गाल मत फुलाना । 


सुख भी ज़रा कमा लो, दुख तो बहुत कमाया, 

दौलत बहुत लुटाई, खुशियाँ कभी लुटाना । 


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-231120

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

कुंडलियाँ

मुक्तक

 #मुक्तक #अवधेश_के_मुक्तक #अवधेश_की_कविता 


उसी ने दिल दुखाया है जिसे चाहा बहुत हमने,

मगर हम माफ कर देंगे अगर वो माँग ले माफ़ी ।

दुआ में याद कर कर के जिसे माँगा बहुत हमने,

अलग है दूर है अब पर मिला जितना वही काफ़ी ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 21112020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

मुक्तक

 #मुक्तक #अवधेश_के_मुक्तक 

मुझे जो हिचकियाँ आतीं किसी को याद आई है ।

किसी की याद में मैंने शमाँ फ़िर से जलाई है ।

मुझे वो याद करता है उसे मैं याद करता हूँ,

मुहब्बत हो न हो हमने रसम फ़िर भी निभाई है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना

शिवपुरी मध्य प्रदेश

जगमगाता देश भारत

 जगमगाता देश भारत दीप माटी के जले ।

आत्म निर्भर जब बने तो दुश्मनों को हम खले ।

हम विदेशी ताकतों को धूल अब चटवाएँगे ।

नागरिक सब जागते हैं एक होकर गाएँगे ।

एक धागे में बँधे सब राम के पथ पर चले ।

जगमगाता देश..

वेशभूषा जाति भाषा एक अब होकर रहें ।

धर्म सारे वर्ग सारे प्रेम सलिला में बहें ।

अब गिले शिकवे भुला कर मिल रहे हैं सब गले ।

जगमगाता देश ....

युद्ध हो गर सरहदों पर फ़ौज भी तैयार है ।

आधुनिक हथियार हम पर भय दिखे तो प्यार है ।

देख अर्जित शक्ति को अब शत्रु हाथों को  मले ।

जगमगाता देश ....

वेद ग्रंथों में लिखा जो ज्ञान हम सब जान लें ।

एक ईश्वर हर जगह पर बात इतनी मान लें ।

विश्व सारा एक मानें आसमाँ  नीले तले ।

जगमगाता देश ....

भूमि पुत्रों का रहे बस राज पर अधिकार जो ।

तब सबक उसको मिलेगा देश का गद्दार जो ।

पास रहकर ही  हमारे मूँग छाती पर दले ।

जगमगाता देश ...

देश की ख़ातिर चले जो वो नहीं थकते कभी ।

एकता है देश में अब बँट नहीं सकते कभी ।

साथ मिलकर हम रहें तो हर वला पल में टले ।

जगमगाता देश ...

डले ढले पले फले भले हले ।

जगमगाता देश ...

लोकतांत्रिक ये व्यवस्था लोक कंधों पर खड़ी ।

हो रही मजबूत है अब विश्व में सबसे बड़ी ।

वोट ई वी एम में जब आम वोटर के डले ।

जगमगाता देश ...

ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल #दिलनशीं_शाम

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 

#दिलनशीं_शाम


दिलनशीं शाम जब उधर न हुई ।

तो इधर इश्क़ की सहर न हुई ।


थी मुहब्बत इसीलिए उन से,

दुश्मनी की बहुत मगर न हुई ।


बे असर ही रहे ख़बर ताज़ी,

बात पूरी सही अगर न हुई ।


दिल हमारा चुरा लिया उसने,

और हमको ज़रा ख़बर न हुई ।


काम करना पड़े बहुत ज़्यादा,

जब हमारी गुज़र बसर न हुई ।


जोर पूरा लगा दिया हमने,

सीख हमको मिली ज़फ़र न हुई ।


हम सँवरते रहे उन्हीं के लिए,

पर उन्ही की कभी नज़र न हुई ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 12112020

शिवपुरी मध्य प्रदेश


ग़ज़ल सपने हमें सुहाने

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल

#सपने_हमें_सुहाने_दिखाए_कभी_कभी


सपने हमें सुहाने दिखाए कभी-कभी ।

अरमान जिंदगी के जगाए कभी-कभी ।


मुझको गई वो छोड़ मगर  बेवफ़ा नहीं,

वादे वफ़ा किये जो निभाए कभी कभी ।


दुख दर्द की घड़ी में बुलाया अगर उन्हें,

अपने ही लग रहे हैं पराए कभी कभी ।


नज़दीक आ गए थे मग़र दूर हो गए,

उनकी मुझे तो याद सताए कभी कभी ।


वो सुर्ख़ लाल फूल महकता गुलाब का,

काला भँवर उसे भी लुभाए कभी कभी ।


दिन में नहीं मिले जो बड़ी दूरियाँ रखे,

रातें मगर वो साथ बिताए कभी कभी ।


गुड़ की घुली मिठास लिए बोलता है जो, 

कड़वे निकाल बोल सुनाए कभी कभी ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 9112020

शिवपुरी मध्य प्रदेश


रेप गीत

हाइकु

हाइकु

 #अवधेश_के_हाइकु

#हाइकु


1

छत पे खीर

पूनम का चंद्रमा

बरसे सुधा

2

आवारा सांड

बाजार के बीच में

होती लड़ाई

3

घास पे ओस

नंगे पैर चलते

मधुर पल

4

बजते घण्टे

पास के मंदिर में

प्रभु आरती

5

सभा में नेता

जनता के सामने

झुका है सर



इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना

शिवपुरी मध्य प्रदेश

घनाक्षरी आज रात महारास

 #मनहरण_घनाक्षरी


#आज_रात_महारास 


सुगंधित रंग भरे, पुष्प पत्र लताओं से,

गाँव बाग मधुवन ,बगिया सजाएंगे ।

धर के रूप कोई भी, आज घर में आएँगीं,

शरद पूर्णिमा मना, लक्ष्मी को मनाएँगे ।

राग और अलंकार, मधुर-मधुर तान,

मोहित करने वाली, मुरली बजाएंगे ।

आज रात महारास,कृष्ण गोपियों के संग,

धर के अनेक रूप , झूमते रचाएंगे ।


इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना-31102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

ग़ज़ल परेशां आज हर इक आदमी है

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 

#परेशाँ_आज_हर_इक_आदमी_है


परेशाँ आज हर इक आदमी है ।

लपेटे हर किसी को मुफ़लिसी है ।

ठहरती जो नहीं बहती अकड़ में,

समंदर में समा जाती नदी है ।

सताते थे रुलाते थे हमें पर,

तुम्हारी ही हमें खलती कमी है ।

हमें धोखा मिला जब बेवफ़ा से,

जिगर में आग आँखों में नमी है ।

कहाँ सोए कहाँ जागे करे क्या ?

ठिकाना ढूंढती आवारगी है ।

ज़रा फ़िर से मेरा तू जाम भर दे,

नशीली शाम अब ढलने लगी है ।

समंदर हैं कई नदियाँ निगलते,

बड़ी ज़ालिम हमारी तिश्नगी है ।

मिला के खीर में अमृत खिलाती,

शरद पूनम की ये जो चाँदनी है ।

फँसी है जान आफ़त में सभी की,

मगर देखो उन्हें अपनी पड़ी है ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-31102020

विदाई सेवानिवृति

 #प्रियामृतावधेश

#विदाई #सेवानिवृति 


छिन 

जाते

सबसे ही 

अधिकार सभी

अधिवार्षिकी आयु

हो जाती जब पूरी 

ऑफिस और ऑफिसर भी

छूट जाते सभी झटके में 

जो भी आया है वो जाएगा ।

कर्मों के फल भी वो पाएगा ।

सुखमय होगा भावी जीवन

आगे स्वस्थ रहे तन मन

साथी करें कामना 

विदाई पलों में 

कर्म धर्म पथ 

बढ़े चलें

शुभ हों

दिन


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 30102020

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

ग़ज़ल अब नई इक मिसाल रखते हैं

 #अवधेश की ग़ज़ल 

#ग़ज़ल

#अब_नई _इक_मिसाल_रखते_हैं 


अब नई इक मिसाल रखते हैं ।

हम झुकाकर कपाल रखते हैं ।


क्या मिलेगा हमें अदावत से,

दोस्ती को बहाल रखते हैं ।


क्या कहें हम जवाब में इनके,

आप ऐसे सवाल रखते हैं ।


वार करना ज़रा सम्हल कर तुम,

हम भी तलवार ढाल रखते हैं ।


मछलियों के नसीब में फँसना,

सारे मछुआर जाल रखते हैं ।


छोड़ कर वो चले गए हमको,

हम हमेशा मलाल रखते हैं ।


आपके साथ हो गया धोखा,

क्यों नहीं आप ख़्याल रखते हैं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 30102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश 

विजयादशमी

 #अवधेश_की_कविता

#विजया_दशमी_शुभ_हो 


भाई को जो  अपना सब कुछ  दे सकता हो ।

गुरु आज्ञा को जो सर माथे पर रखता हो ।

पापा के वचनों को  जो  पूरा करता हो ।

रघुवीरा के पथ पर जो हर दम चलता हो ।


विजया दशमी शुभ हो मैं उसको  कहता हूँ ।

रावण भक्तों से तो मैं  दूरी रखता हूँ ।

प्रभु चरणों को अपने  मैं मन में धरता हूँ ।

प्रभु भक्तों की सेवा मैं करता रहता हूँ ।


विजय दशमी की बधाई और शुभकामनाएं ।


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना - 25102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश

विजया दशमी 2020

प्रियामृतावधेश जीवन नदिया

 #प्रियामृतावधेश

#जीवन_नदिया 


सम

रहना

सुख दुख में

जीवन नदिया

बहती जाती है 

उदगम से सागर तक 

किनारे साथ चलते हैं 

सागर में वो जब मिलती है

सब कुछ यहीं पर छूट जाता है ।

बंधन सभी से  टूट जाता है ।

चलते ही रहना है हरदम

सुख आए या दुख आए 

रुकना तुम नहीं कहीं 

थकना नहीं कभी

मंज़िल पाकर

चैन मिले

लेना

दम


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-23102020

शिवपुरी मध्य प्रदेश