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परिचय

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Friday, May 28, 2021

गीत गाँव आता याद

 #गीत #अवधेश_के_गीत #अवधेश_की_कविता 


#गाँव_आता_याद_मुझको_जब_हुई_तन्हाई_है 


गाँव आता याद मुझको जब हुई तन्हाई है ।

शाम है जब ये सुहानी, श्याम बदली छाई है ।


आज फिर यादें पुरानी, अब मुझे भी आ रहीं ।

गाँव का घर और गलियाँ, मन पटल पर छा रहीं ।


खेत की मिट्टी बहुत खुश, अब हवा पुरवाई है ।

गाँव आता याद .....


ताल के वो घाट कहते, फिर नहाने आइए ।

पेड़ पर चढ़कर मुरलिया, फिर सुनाकर जाइए ।


नीम पीपल जाम जामुन, वृक्ष हैं अमराई है ।

गाँव आता याद ......


द्वार पे माँ संग बैठें,पास की सब चाचियां ।

बात बहुओं की चले तो, बोलतीं सब दादियां ।


गाँव की चौपाल पर ही, हो रही सुनवाई है ।

गाँव आता याद ......


लिप रहे आँगन सभी के, पुत रहीं दीवार हैं ।

हाट में है भीड़ कितनी, सज रहे बाजार हैं ।


दीपमालाएं जलीं हैं, फिर दिवाली आई है ।


गाँव आता याद ....


बज रहे घुँघरू छनक छन, थाप ढोलक पर पड़ी ।

नृत्य में तल्लीन भाभी, फिर बहन दर पे खड़ी ।


आ गई बारात कोई, बज रही शहनाई है ।


गाँव आता याद ....


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 23022021

शिवपुरी मध्य प्रदेश

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