#प्रियामृतावधेश
मन
चंचल
कहता है
देखूँ उसको
नैन उठते नहीं
कह दूँ उससे सब कुछ
होंठ पर खुलते ही नहीं
छू लूँ पर हाथ उठते नहीं
जमाने का डर रोक देता है ।
कभी खुद मन ही टोक देता है ।
कशमकश में हूँ मैं क्या करूँ
साहस करूँ मन की करूँ
छुआ तो हुई सिहरन
कँपकँपाते होंठ
बोल गए सब
मिली नजर
झंकृत
तन
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 19032021
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
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