#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
#मौसम_हुआ_सुहाना
बादल घिरे गगन में, मौसम हुआ सुहाना ।
फ़िर से उभर रहा है, जो दर्द है पुराना ।
आँसू नहीं बचे हैं, पलकें नहीं झपकतीं,
ज़ख्मेजिगर दिखा कर,अब और मत रुलाना ।
ये फ़ासले मिटेंगे,जब आप सोच लेंगे,
महसूस हो जरूरत, नज़दीक फ़िर बुलाना ।
गर साथ छूट जाए, मिलना नहीं अगर हो,
जाना भले कहीं भी, हमको नहीं भुलाना ।
झूले पड़े दिखे जो, वो भी उदास दिखते,
अब याद आ रहा है, झूला उन्हें झुलाना ।
बातें लगें बुरी या, गलती दिखे हमारी,
गुस्सा भले दिखाना,पर गाल मत फुलाना ।
सुख भी ज़रा कमा लो, दुख तो बहुत कमाया,
दौलत बहुत लुटाई, खुशियाँ कभी लुटाना ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-231120
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
No comments:
Post a Comment