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परिचय

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Friday, May 28, 2021

ग़ज़ल मौसम हुआ सुहाना

 #ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 

#मौसम_हुआ_सुहाना 


बादल घिरे गगन में, मौसम हुआ सुहाना ।

फ़िर से उभर रहा है, जो दर्द है पुराना ।


आँसू नहीं बचे हैं, पलकें नहीं झपकतीं,

ज़ख्मेजिगर दिखा कर,अब और मत रुलाना ।


ये फ़ासले मिटेंगे,जब आप सोच लेंगे,

महसूस हो जरूरत, नज़दीक फ़िर बुलाना ।


गर साथ छूट जाए, मिलना नहीं अगर हो, 

जाना भले कहीं भी, हमको नहीं भुलाना ।


झूले पड़े दिखे जो, वो भी उदास दिखते, 

अब याद आ रहा है, झूला उन्हें झुलाना ।


बातें लगें बुरी या, गलती दिखे हमारी,

गुस्सा भले दिखाना,पर गाल मत फुलाना । 


सुख भी ज़रा कमा लो, दुख तो बहुत कमाया, 

दौलत बहुत लुटाई, खुशियाँ कभी लुटाना । 


इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-231120

शिवपुरी, मध्य प्रदेश

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