#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
बाग में बहती हवाओं में लिखा है ।
नाम उसका ही बहारों में लिखा है ।
एक दूजे के लिए वो मर मिटे थे,
प्यार का किस्सा किताबों में लिखा है ।
साथ रहते जो रहे थे अब उन्होंने,
नाम दूजे का रक़ीबों में लिखा है ।
एक गुस्ताख़ी हमारी जो हुई थी,
चाहना उनको गुनाहों में लिखा है ।
साल पहले जो कमाते खूब पैसा,
नाम अब उनका गरीबों में लिखा है ।
शर्त तो सारी निभानी ही पड़ेंगी,
तुम पढ़ो क्या इन क़रारों में लिखा है ।
अब सुनो 'अवधेश' से मक़ता ग़ज़ब का,
खून से दिल के जो ग़ज़लों में लिखा है ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 14052021
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
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