#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
गुल गुलाबी फिर खिलेंगे देखना ।
बागबाँ फिर से हँसेंगे देखना ।
बंद हैं सब रास्ते ही आजकल,
हम सड़क पर फिर चलेंगे देखना ।
छुप गए डर कर अभी जाने कहाँ,
वो परिंदे फिर उड़ेंगे देखना ।
जो बढ़े ही जा रहे हैं आँकड़े,
शून्य आने तक घटेंगे देखना ।
रुक गए हम आज लिखकर शेर कुछ,
कल ग़ज़ल पूरी लिखेंगे देखना ।
दूर रहकर सब्र रखना आजकल,
हम गले फिर से मिलेंगे देखना ।
आपकी ख़ातिर सदा 'अवधेश' ही,
हर सितम हँस कर सहेंगे देखना ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 19052021
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
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