#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
#सपने_हमें_सुहाने_दिखाए_कभी_कभी
सपने हमें सुहाने दिखाए कभी-कभी ।
अरमान जिंदगी के जगाए कभी-कभी ।
मुझको गई वो छोड़ मगर बेवफ़ा नहीं,
वादे वफ़ा किये जो निभाए कभी कभी ।
दुख दर्द की घड़ी में बुलाया अगर उन्हें,
अपने ही लग रहे हैं पराए कभी कभी ।
नज़दीक आ गए थे मग़र दूर हो गए,
उनकी मुझे तो याद सताए कभी कभी ।
वो सुर्ख़ लाल फूल महकता गुलाब का,
काला भँवर उसे भी लुभाए कभी कभी ।
दिन में नहीं मिले जो बड़ी दूरियाँ रखे,
रातें मगर वो साथ बिताए कभी कभी ।
गुड़ की घुली मिठास लिए बोलता है जो,
कड़वे निकाल बोल सुनाए कभी कभी ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 9112020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
No comments:
Post a Comment