जगमगाता देश भारत दीप माटी के जले ।
आत्म निर्भर जब बने तो दुश्मनों को हम खले ।
हम विदेशी ताकतों को धूल अब चटवाएँगे ।
नागरिक सब जागते हैं एक होकर गाएँगे ।
एक धागे में बँधे सब राम के पथ पर चले ।
जगमगाता देश..
वेशभूषा जाति भाषा एक अब होकर रहें ।
धर्म सारे वर्ग सारे प्रेम सलिला में बहें ।
अब गिले शिकवे भुला कर मिल रहे हैं सब गले ।
जगमगाता देश ....
युद्ध हो गर सरहदों पर फ़ौज भी तैयार है ।
आधुनिक हथियार हम पर भय दिखे तो प्यार है ।
देख अर्जित शक्ति को अब शत्रु हाथों को मले ।
जगमगाता देश ....
वेद ग्रंथों में लिखा जो ज्ञान हम सब जान लें ।
एक ईश्वर हर जगह पर बात इतनी मान लें ।
विश्व सारा एक मानें आसमाँ नीले तले ।
जगमगाता देश ....
भूमि पुत्रों का रहे बस राज पर अधिकार जो ।
तब सबक उसको मिलेगा देश का गद्दार जो ।
पास रहकर ही हमारे मूँग छाती पर दले ।
जगमगाता देश ...
देश की ख़ातिर चले जो वो नहीं थकते कभी ।
एकता है देश में अब बँट नहीं सकते कभी ।
साथ मिलकर हम रहें तो हर वला पल में टले ।
जगमगाता देश ...
डले ढले पले फले भले हले ।
जगमगाता देश ...
लोकतांत्रिक ये व्यवस्था लोक कंधों पर खड़ी ।
हो रही मजबूत है अब विश्व में सबसे बड़ी ।
वोट ई वी एम में जब आम वोटर के डले ।
जगमगाता देश ...
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