#गीतिका छंद में एक #गीत
धन्य भारत भूमि जिस की आज ऊँची शान है ।
जिसने आज़ादी दिलाई, वो अमर बलिदान है ।
राजगुरु सुखदेव भी तो, थे भगत के साथ में,
चल रहे थे इंक़लाबी, हाथ थामे हाथ में ।
रंग चोले का बसंती, हो यही अरमान है ।
धन्य भारत भूमि जिस की आज ऊँची शान है ।
पुण्य दिन तेइसवां था मार्च सन इकतीस का ।
उम्र थी बाईस की या, कोई था तेईस का ।
जिस जगह फाँसी हुई थी, तीर्थ वो स्थान है ।
धन्य भारत भूमि जिस की आज ऊँची शान है ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 23032021 ( शहीदी दिवस)
शिवपुरी मध्य प्रदेश
No comments:
Post a Comment