खिलेंगी बाग में कलियाँ, महकती हर गली होगी ।
सितारे जगमगाएंगे, निशा भी हो रही होगी ।
जुलाई सात सन इक्कीस होगी पुष्प की वर्षा,
बने दूल्हा खड़े 'अभिनव', 'प्रज्ञा: नववधु बनी होगी ।
प्रतीक्षारत रहेंगे हम, सजेगा प्रीत का भोजन,
मिलेंगे एक दूजे से बहुत सबको खुशी होगी ।
निमंत्रण भूल मत जाना, जरूरी आपका आना,
मिले आशीष जो सबका, बड़ी ये शुभ घड़ी होगी ।
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