#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
गीत ग़म के गुनगुनाने दीजिए ।
दर्द सारे आज़माने दीजिए ।
रोक लेंगे दूर जाने से उन्हें,
प्यार से हमको मनाने दीजिए ।
बाद मुद्दत के दिखा चेहरा खिला,
खुल के उनको मुस्कुराने दीजिए ।
ये व्यवस्था मुश्किलों से बन सकी,
अब इसे मत चरमराने दीजिए ।
भूख मिटती ही नहीं इनकी कभी,
एक टुकड़ा और खाने दीजिए ।
माफ़ करना गलतियाँ मेरी सभी ।
हो गई जो बात जाने दीजिए ।
खोल देंगे राज सारे आपके,
शर्म का पर्दा हटाने दीजिए ।
पाप ही बस पाप ये करते रहे,
पुण्य इनको भी कमाने दीजिए ।
देखना 'अवधेश' की ताक़त यहाँ,
बस जरा अपनी पे आने दीजिए ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 17052021
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
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