#अवधेश की ग़ज़ल
#ग़ज़ल
#अब_नई _इक_मिसाल_रखते_हैं
अब नई इक मिसाल रखते हैं ।
हम झुकाकर कपाल रखते हैं ।
क्या मिलेगा हमें अदावत से,
दोस्ती को बहाल रखते हैं ।
क्या कहें हम जवाब में इनके,
आप ऐसे सवाल रखते हैं ।
वार करना ज़रा सम्हल कर तुम,
हम भी तलवार ढाल रखते हैं ।
मछलियों के नसीब में फँसना,
सारे मछुआर जाल रखते हैं ।
छोड़ कर वो चले गए हमको,
हम हमेशा मलाल रखते हैं ।
आपके साथ हो गया धोखा,
क्यों नहीं आप ख़्याल रखते हैं ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 30102020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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