#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
हमें दर्द दे जो वो दीगर नहीं ।
वजह दुख की अंदर है बाहर नहीं ।
उसे ढूंढ़ने में खपी ज़िंदगी,
मिला वो हमें पर कहीं पर नहीं ।
ख़ुदा के अलावा मिले दूसरा,
झुकेगा कभी भी मेरा सर नहीं ।
बड़ी चाह देखें उसे रोज हम,
मगर पास उसके मिला घर नहीं ।
डराने की कोशिश सभी कर रहे,
हमें पर किसी से ज़रा डर नहीं ।
नदी चाहती क्या सभी को पता,
मगर जानता ये समंदर नहीं ।
ग़ज़ल खूब 'अवधेश' कहने लगे,
हुआ शेर कोई भी कमतर नहीं ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 14042021
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
No comments:
Post a Comment