#प्रियामृतावधेश
#जीवन_नदिया
सम
रहना
सुख दुख में
जीवन नदिया
बहती जाती है
उदगम से सागर तक
किनारे साथ चलते हैं
सागर में वो जब मिलती है
सब कुछ यहीं पर छूट जाता है ।
बंधन सभी से टूट जाता है ।
चलते ही रहना है हरदम
सुख आए या दुख आए
रुकना तुम नहीं कहीं
थकना नहीं कभी
मंज़िल पाकर
चैन मिले
लेना
दम
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-23102020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
No comments:
Post a Comment