#अवधेश_की_ग़ज़ल #ग़ज़ल
सपने हम साकार करेंगे ।
बागों को गुलज़ार करेंगे ।
सालों से बेकार पड़े थे,
पैने अब औज़ार करेंगे ।
तुम नफ़रत के तीर चलाना,
हम तो फ़िर भी प्यार करेंगे ।
सब कुछ ही जो लूट चुके अब,
खेती का व्यापार करेंगे ।
झाँकेंगे जब वो खिड़की से,
अपलक हम दीदार करेंगे ।
जिस पर सब कुछ वार दिया था,
उससे ही तकरार करेंगे ।
रिश्वत या उपहार गलत जो,
लेने से इंकार करेंगे ।
साज़िश हों गर देश विरोधी,
खुल कर हम इज़हार करेंगे ।
कर देंगे ' अवधेश' वो' पूरा,
गर कोई इक़रार करेंगे ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना-17122020
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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