#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
आप जैसा दूसरा देखा नहीं ।
आज तक ऐसा नशा छाया नहीं ।
मुश्किलें हों सामने आकर खड़ीं ।
ग़म भरे गाने हमें गाना नहीं ।
शाम कैसे हम करें रंगीन अब,
इस शहर में यार मैखाना नहीं ।
दिल में जो है दिल के अंदर क्यों रहे,
प्यार क्यों बाहर कभी आता नहीं ।
सच की ताकत और दौलत है बड़ी,
झूठ बिन लाठी के चल पाता नहीं ।
आइने में देख खुद से पूछना,
क्यों कभी इसकी तरह बोला नहीं ।
हो इनायत रब की जो 'अवधेश' पर,
हो कभी फिर बाल भी बाँका नहीं ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना -31032021
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
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