#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
हम चाँद में तेरा ही तो दीदार करेंगे ।
महफ़िल में सितारों की तुझे प्यार करेंगे ।
चलना है हमें साथ उन्हीं के इस सफ़र में,
कदमों की जरा तेज हम रफ़्तार करेंगे ।
मिलने के लिए उनसे तलब ख़ूब लगी है ।
जो आग बहाती वो नदी पार करेंगे ।
किस बात पे रूठे हो ज़रा खुल के बताना,
गलती जो हमारी है वो स्वीकार करेंगे ।
दिल में ही किया होंठ पे आने न दिया पर,
हम आज उसी प्यार का इज़हार करेंगे ।
बरसात के मौसम में जो बूंदों में समाया,
सावन में उसी प्यार की बौछार करेंगे ।
जिसने भी हमें खींच के अंदर है बिठाया,
उस दिल की ज़मीं पर भी तो अधिकार करेंगे ।
मुश्किल है तो क्या ग़म है नहीं दूर है मंज़िल,
आसान मेरी राह मेरे यार करेंगे ।
चालाक चतुर लोग चलेंगे जो हराने,
'अवधेश' उसी चाल को बेकार करेंगे ।
इंजी. अवधेश कुमार सक्सेना- 20052021
शिवपुरी, मध्य प्रदेश
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